हिन्दू विधि विवाह संस्कार है न कि अनुबंध- हाई कोर्ट, विवाह पूर्व महिला को मातृत्व से वंचित करने का शर्त अमानवीय
बिलासपुर : हाई कोर्ट ने शादी के बाद महिला को मातृत्व से वंचित रखने के शर्त का पालन नही होने के आधार पर पति द्वारा तलाक हेतु पेश याचिका को खारिज कर दिया है।
याचिकाकर्ता ने 2010 में पुत्र के जन्म होने के बाद पत्नी को छोड़ दिया। इसके बाद उसने एक अन्य महिला से आर्य समाज में दूसरी शादी किया। दूसरी पत्नी को उसने पहली पत्नी व उससे एक बेटा होने की जानकारी नहीं दी थी। शादी के दो वर्ष बाद भी बच्चे नहीं होने पर महिला ने डॉक्टरों से संपर्क किया।
इसमें महिला को पति के नसबंदी ऑपरेशन कराए जाने की जानकारी हुई। इसके बाद महिला ने डॉक्टरों के सलाह पर आईवी एफ पद्धति से अज्ञात डोनर के स्पर्म से गर्भधारण कर माँ बनी। बच्चा नही चाहने की बात पर पत्नी से तलाक लेने परिवार न्यायालय में आवेदन दिया।
परिवार न्यायालय से आवेदन खारिज होने पर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। हाई कोर्ट की डीबी ने सुनवाई उपरांत याचिका को खारिज किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हिन्दू विधि से विवाह संस्कार है न कि अनुबंध। विवाह पूर्व महिला को मातृत्व से वंचित रखने का शर्त अमानवीय है। इसे क्रियान्वित नही किया जा सकता है।
साभार : कमलेश शर्मा