(भूपेंद्र सिंह राठौर के साथ राजा खान) : रंग पँचमी का पर्व शनिवार को धूमधाम के साथ मनाया गया। एक दूसरे को लेागों ने रंग लगाकर खुशियां बांटी। इस अवसर पर कीचड़ की होली भी खेली गई। रंगपंचमी के दिन ग्रामीण क्षेत्रों में धूल-मिट्टी और कीचड़ में पँचमी का उत्सव लोग मनाते नजर आए।
शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में भी रंग पँचमी धूमधाम से मनाई गई।रंगपंचमी को धूल पँचमी का भी नाम दिया गया है,क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग इस दिन धूल और मिट्टी से होली खेलते नजर आते है। यहां लोग फूलों से नहीं, रंग गुलाल से नहीं बल्कि कीचड़ से होली खेलते हैं। यह परंपरा वर्षों से गावों में चली आ रही है।
लोग एक दूसरे को कीचड़ डालकर होली मनाते हैं। बताया जाता है कि पहले मिट्टी में पानी डालकर एक दूसरे को उससे सराबोर करते थे लेकिन अब लोग नालियों का कीचड़ व गंदगी एक दूसरे पर डालते हैं जिससे यह अनोखा रंग बदरंग होता जा रहा है।
शहर के मोपका में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला जहाँ युवाओं की टोली कीचड़ में होली खेलते नजर आई,उनके साथ युवतियां भी इस रंग में रंगी हुई दिखी।