छत्तीसगढ़बिलासपुर

गोठानों में तैयार हर्बल गुलाल से इस बार भी मनेगी होली

(शशि कोनहेर) : बिलासपुर। नगर निगम के गोठानों में तैयार बिना केमिकल के हर्बल गुलाल से इस बार भी शहर में होली मनाई जाएगी। मोपका और सिरगिट्टी के गोठानों में महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने इसे तैयार किया है। दोनों गोठानों में अब तक 50 किलो हर्बल गुलाल तैयार किया गया है, जिसमें से 30 किलो गुलाल बिक चुका है। मंगलवार को मोपका गोठान स्व सहायता समूह की महिलाओं ने मेयर निवास पहुंचकर महापौर रामशरण यादव को हर्बल गुलाल भ्ोंट किया। महापौर ने उन्हें सादगी के साथ होली मनाने की शुभकामनाएं दीं।


निगम के गोठानों में प्राकृतिक और शुद्ध रूप से समय-समय पर अलग-अलग उत्पाद तैयार किए जाते हंै। जैसे दिवाली के समय गोबर से बने दीये, कंपोस्ट। होली के अवसर पर समूह की महिलाओं द्बारा शुद्ध रूप से प्राकृतिक चीजों के मिश्रण से हर्बल गुलाल बनाया गया है। कुछ दिन पहले ही बने इस हर्बल गुलाल की मांग इतनी अधिक है कि बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के ही 30 किलो गुलाल की बिक्री हो चुकी है। मोपका और सिरगिट्टी के गोठानों से हर्बल गुलाल खरीदा जा सकता है या फिर +919340942346 नंबर पर संपर्क भी किया जा सकता है।



बिना केमिकल के प्राकृतिक चीजों से बना है हर्बल गुलाल
समूह की महिलाओं द्बारा बिना केमिकल के उपयोग किए प्राकृतिक रूप से अलग-अलग चीजों का मिश्रण करके हर्बल गुलाल तैयार किया गया है। आरा रोठ पाउडर, गुलाब जल, गुलाब पनखुड़ी गेंदा फूल,सेवती पनखुड़ी,नीम पत्ता,फुड कलर के मिश्रण से बनाया गया है।


मेयर श्री यादव ने बताया कि होली में चेहरे पर केमिकल युक्त अबीर-गुलाल, कच्चा-पक्का रंग चढ़ता है। यह रंग त्वचा पर नुकसानदायक होता है। एलर्जी, इंफेक्शन जैसे रोग होने की आशंका होती है। इस होली इन रोगों से बचाव के लिए हर्बल रंग का इस्तेमाल करें। चिकित्सकों के अनुसार हर्बल रंग में केमिकल नहीं होता। इसलिए त्वचा पर केमिकल से होने वाले दुष्प्रभाव नहीं होते। वहीं सुगंधित हर्बल रंग को निकालना भी आसान होता है।


मात्र 25 रुपए का है पैकेट
मेयर श्री यादव ने बताया कि गोठान में तैयार हर्बल गुलाल की कीमत 25 रुपए पैकेट निर्धारित की गई है। 5० ग्राम गुलाल का एक पैकेट है। इसके अलावा चार पैकेट,आठ पैकेट और दस पैकेट के एक साथ बड़ी टोकरी भी खरीदी जा सकती है।
गोठान में कार्यरत महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं को हर्बल गुलाल, गोबर से कंपोस्ट और अन्य कलाकृति निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया है,जिससे महिलाएं गुलाल और दीया जैसी उत्पाद बना रही हैं। इन सामग्रियों के विक्रय से महिलाओं की जहां आय बढ़ रही है तो वहीं महिलाएं आत्मनिर्भर भी बन रही है।

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