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अगर कोई पार्टी से अलग होना चाहता है तो ये उसकी रणनीति- NCP चीफ

(शशि कोन्हेर) : एनसीपी चीफ शरद पवार ने रविवार को अजीत पवार को लेकर बड़ा बयान दिया है. एनसीपी में टूट की अटकलों को लेकर पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर कोई अलग होने की कोशिश कर रहा है (एनसीपी से अजीत पवार), तो यह उनकी रणनीति है. इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर जेपीसी को लेकर अपनी राय रखी है. उन्होंने रविवार को फिर से दोहराया कि अडाणी मामले मे जेपीसी जांच की मांग सही फैसला नहीं है. इसे लेकर शरद पवार शुरू से समर्थन में नहीं हैं.

कड़ा स्टैंड लेने की कही बात
शरद पवार ने रविवार को एनसीपी में टूट की अटकलों को लेकर पूछे गए एक सवाल पर कहा कि ‘अगर कोई अलग होने की कोशिश कर रहा है (एनसीपी से अजीत पवार), तो यह उनकी रणनीति है और वे ऐसा कर रहे होंगे. अगर हमें कोई स्टैंड लेना है, तो हम कड़ा स्टैंड लेंगे. इस पर कुछ भी बोलना सही नहीं है क्योंकि हमने इस बारे में कोई चर्चा नहीं की है.

‘कोई तोड़ने का काम करता है तो करे’
इसके साथ ही उन्होंने एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के संदर्भ में चल रही अटकलों को लेकर भी अपनी बात रखी है. शरद पवार ने कहा कि ‘कोई तोड़ने का काम करता है तो करें, हम हमारी भूमिका जो लेना है लेंगे. दरअसल, एनसीपी में टूट की अटकलें लगातार चल रही हैं.

इसे लेकर पहले भी शरद पवार ने पुणे के पुरंदर इलाके में मीडिया से कहा था कि मीडिया के दिमाग में जो भी चर्चा चल रही है, वह हमारे दिमाग में नहीं है. इन सभी चर्चाओं का कोई महत्व नहीं है. मैं एनसीपी के बारे में कह सकता हूं कि हमारे सभी सहयोगी एक ही सोच के हैं. किसी के दिमाग में कोई अन्य विचार नहीं है.

जेपीसी पर कही ये बात
शरद पवार ने अडानी मामले में कहा कि, ‘JPC सॉल्यूशन नही है. उन्होंने कहा कि 21 लोगों की समिति में 15 लोग भाजपा के होंगे और 6 विपक्ष के और JPC का अध्यक्ष भी उनका होगा. ऐसे में JPC से बेहतर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी होगी. लेकिन विपक्ष अगर JPC की मांग कर रहा है तो मैं उनका विरोध भी नहीं करूंगा साथ रहूंगा.’

पहले भी जेपीसी पर ऐसा कह चुके हैं शरद पवार
8 अप्रैल 2023 को भी शरद पवार ने जेपीसी को लेकर कहा था कि आखिर क्यों वह इसकी जांच नहीं चाहते हैं. असल में इससे एक दिन पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट पर निशाना साधा था, जिसमें गौतम अडानी को लेकर कई आरोप लगाए गए हैं. तब शरद पवार ने कहा था कि ‘उस शख्स ने पहले भी ऐसे बयान दिए थे और तब भी सदन में कुछ दिन हंगामा हुआ था.

लेकिन इस बार जरूरत से ज्यादा तवज्जो इस मुद्दे को दे दी गई है. वैसे भी जो रिपोर्ट आई, उसमें दिए बयान किसने दिए, उसका क्या बैकग्राउंड है. जब वो लोग ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिनसे देश में बवाल खड़ा हो, इसका असर तो हमारी अर्थव्यवस्था पर ही पड़ता है. लगता है कि ये सबकुछ किसी को टारगेट करने के लिए किया गया था.’ शरद पवार के इस तरह का बयान को ‘विपक्षी एकता में दरार’ के तौर पर देखा गया था.

सुप्रीम कोर्ट के दूसरे विकल्प पर राजी हैं पवार
इस तरह की बातें सामने आने के बाद 8 अप्रैल को एनसीपी चीफ ने अपनी बात फिर से रखी थी. उन्होंने कहा था कि ‘मुझे नहीं पता कि हिंडनबर्ग क्या है, एक विदेशी कंपनी इस देश के एक आंतरिक मामले पर स्टैंड ले रही है तो हमें सोचना चाहिए कि एक’हैट कंपनी’ को हमें कितना महत्व देना चाहिए. जेपीसी की बात सभी विपक्ष ने कही है यह सच है और हमारी पार्टी भी इसमें शामिल है, यह भी सच है. लेकिन जेपीसी के गठन में 21 लोग होंगे और उनमें से 15 लोग रूलिंग पार्टी के होंगे. विपक्ष के सिर्फ 5 6 लोग ही होंगे तो वह क्या सच्चाई सामने लाएंगे. इसीलिए मेरा कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी फॉर्म करने का जो दूसरा विकल्प दिया है, वह ज्यादा ठीक है.

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