(आशीष मौर्य) : करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन की हेराफेरी और गरीब किसानो की भूमि का फर्जी दस्तावेज तैयार कर रिक्शा चालक तोरवा निवासी भोंदू दास मानिकपुरी को जमीन का मालिक बना देने के मामले में बुधवार को जाँच टीम ने आपस ने प्रकरण को लेकर चर्चा की . गौरतलब है की मोपका, लिंगियाडीह, और चिल्हाटी की सरकारी जमीनों में जमकर घोटाला किया गया है . जिसकी शिकायत हर बार दबा दी गयी।
अधिवक्ता एवं शिकायतकर्ता प्रकाश सिंह ने जब मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया तो राजस्व महाकामे में हड़कंप मच गया. सरकंडा थाना में एक के बाद एक 8 FIR हुए.जाँच में यह पाया गया की जमीन के संरक्षण की जवाबदारी जिनकी थी उन्होंने ही जमीन दलालो के साथ मिलकर जमीन को बेच खाया.मामले में तत्कालीन तहसीलदार, पटवारी और एस डी एम की भूमिका संदेहास्पद रही.दलालो ने ग्राम चिल्हाटी स्थित पटवारी हल्का नंबर 29 के खसरा नंबर 224 जमीन व ग्राम लगरा के खसरा नंबर 637 व ग्राम मोपका के खसरा नंबर 993 की जमीन में फर्जीवाड़ा कर गलत दस्तावेज बनवाए थे।
दस्तावेज में कूटरचना करने वालों की अब तक नहीं हुई गिरफ्तारी :- भोंदुदास मामले में जप्त दस्तावेज को प्रथम दृष्टया जांच टीम ने भी कूटरचित पाया है. पंजीयन कार्यालय और कलेक्ट्रेट के नकल शाखा में काम करने वाले बाबू और अधिकारीयों ने जमीन दलालों से मोटी रकम लेकर दस्तावेज में कूटरचना की है. किसके साफ परिणाम मिलने के बाद भी अब तक दोषी अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है.
मामले की जाँच धीमी, दस्तावेज नष्ट करने का अपराधियों को मिलेगा अवसर :- शिकायतकर्ता एवं अधिवक्ता प्रकाश सिंह ने कहा कि प्रकरण की जांच धीमी चल रही है, जिससे अपराधियों को दस्तावेज नष्ट करने का अवसर मिल जाएगा, उन्होंने कहा कि अब तक मामले में फॉरेंसिक रिपोर्ट भी नहीं आई है.
पीएमओ में भी हुई थी शिकायत, एडिशनल कलेक्टर ने जांच में शिकायत को कह दिया था झूठा-
दस्तावेजों के साथ कूटरचना व छेड़छाड़ करके सरकारी जमीन को हड़पने की शिकायत साल 2017 में पीएमओ कार्यालय में की गई थी. जहां से जांच के आदेश जिला प्रशासन को दिए गए थे. तत्कालीन अति. कलेक्टर ने इसकी जांच की और शिकायत को गलत बताकर रिपोर्ट सौप दी थी. इसमें राजस्व विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध होने पर इसकी शिकायत पुलिस से की गयी जिसपर अपराध दर्ज किया गया.
कई सालों से हो रहा गड़बड़जाला, दस्तावेजों से हुई जमकर कूटरचना-
यह काम भूमाफिया राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर कई सालों से कर रहे हैं. ये लोग सरकारी, बंधिया तालाब और गरीब ग्रामीणों की भूमि को हड़पने के लिए दस्तावेजों से खिलवाड़ कर रहे हैं. शिकायतकर्ताओं ने जिनके खिलाफ शिकायत की है वह अभी पुलिस राडार से बाहर है . इसके अलावा तत्कालीन अति. कलेक्टर, तहसीलदार, पटवारी सहित अन्य अधिकारियों की भूमिका पर संदेह है.
ये है पूरा मामला :-
सरकंडा के चिल्हाटी में स्थित सरकारी और बेनाम करोंड़ों की भूमि पर कुछ भू-माफियाओं की ऐसी नजर पड़ी कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज के जरिए एक गरीब वृद्ध के नाम पर साढ़े 22 एकड़ भूमि दर्ज करा दी. इसके बाद उन्होंने वृद्ध से मुख्तियारनामा लेकर जमीन को बेचकर करोड़ों रुपए डकार भी दिए. यह सारा काम कई बरसों से राजस्व विभाग के अधिकारियों के सांठगांठ में चल रहा है. इसमें सबसे आश्चर्य की बात यह है कि, वृद्ध को इसकी जानकारी ही नहीं कि, उसके नाम पर करोंड़ों की भूमि है और उसे बेच भी दिया गया है।
इस मामले की शिकायत सरकंडा थाने में होने के बाद पुलिस ने जांच की तब इसका खुलासा हो सका है.सरकंडा पुलिस के मुताबिक, शिकायतकर्ता नवल शर्मा व देवकीनंदन उपाध्याय ने चिल्हाटी के साढ़े 22 एकड़ सरकारी, बंधिया तालाब सहित अन्य बेनामी जमीन को फर्जी व कूटरचित दस्तावेजों के जरिए उसमें कब्जा करने व उसके विक्रय करने की शिकायत की थी।
सरकंडा पुलिस ने इसकी जांच की तो मालूम चला कि, उक्त भूमि तोरवा के सिंधी कॉलोनी निवासी भोंदूदास पिता छेदीदास (70) के नाम पर दर्ज है और उससे मुख्तियारनामा लेकर उसके रिश्तेदार राम यादव ने कुछ भूमाफियाओं के साथ मिलकर जमीन को बेच दिया है. जांच में यह बात भी सामने आई कि, भोंदूदास को इसकी जानकारी भी नहीं है और आधा दर्जन भूमाफियाओं ने राजस्व अधिकारियों से सांठगांठ करके यह फर्जीवाड़ा किया है.