कंपनी गार्डन के सामने मेन रोड पर हरेली से होली तक होने लगा है खुलेआम बेजा कब्जा..! जब 8 महीने बेजा कब्जा रहना है तो बेजा कब्जा धारियों को दुकानें ही बनाकर दे-दे नगरनिगम
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। बिलासपुर में कंपनी गार्डन के सामने सड़क पर बेजा कब्जा करने वाले दुकानदारों को क्या नगर निगम ने जमीन का आजीवन पट्टा दे दिया है..? देवकीनंदन चौक से सिम्स चौक तक भीड़भाड़ और ट्रैफिक की समस्या से हर कोई अवगत है। ऐसे में ठीक भीड़भाड़ वाले त्यौहारी सीजन में कंपनी गार्डन के सामने दुकानदारों का बेजा कब्जा अब शायद बेजा कब्जाधारियों का अधिकार बनते जा रहा है। गरीब फुटपाथ व्यापारी संघ की आड़ में अब साल में लगभग 8 माह यहां दुकाने तनी रहती हैं। हरेली से होली तक कंपनी गार्डन के सामने पांव धरने की भी जगह नहीं रहती। तीजा पोला राखी दशहरा दीवाली फिर एकादशी, फिर गन्ना रस के ठेले और तब होली की रंग, पिचकारियों की दुकाने, ऐसा करते करते कंपनी गार्डन के सामने हरेली से होली तक और उसके बाद भी गन्ना रस की दुकानें लगातार बनी रहती हैं। यहां दुकाने चलाने वाले बेजा कब्जा धारी कुछ ऐसे रुआब से बेजा कब्जा करते हैं मानो नगर निगम ने यह जमीन उन्हें आजीवन पट्टे पर दे रखी है।
गाहे-बगाहे देवकीनंदन चौक से लेकर सदर बाजार तक बेजा कब्जा विरोधी अभियान चलाने वाला नगर निगम का दस्ता भी कंपनी गार्डन के सामने बेजा कब्जा की दुकानों पर कोई कार्रवाई नहीं करता। इन दुकानों के कारण सड़क पर त्यौहारी सीजन में इतनी अधिक भीड़ हो जाती है जिससे ट्रैफिक अस्त-व्यस्त हो जाता है। वही कंपनी गार्डन में सुबह से देर शाम तक हजारों की संख्या में आने वाले लोगों को अपनी मोटरसाइकिलें, साइकिले रखने की कोई जगह नहीं मिलती।
काबिले गौर है कि कंपनी गार्डन में सुबह मॉर्निंग वॉक करने वाले 2-3 हजार लोगों और शाम को परिवार सहित आने वाले लोगों को इन दुकानदारों के कारण काफी मुश्किल हो रही है। यहां आने वाले शहर के लोगों को इन दुकानदारों के चलते अपनी मोटरसाइकिलें और साइकिलें तक खड़ी करने की जगह नहीं मिलती। शहर में त्योहारों को देखते हुए जगह-जगह बेजा कब्जा के खिलाफ नगर निगम की बेदखली की कार्रवाई देखने को मिल रही है। लेकिन कंपनी गार्डन के सामने बेजा कब्जा में सड़क पर लगी दुकानों को पता नहीं क्यों नगर निगम का अभय दान मिला हुआ है।
अगर हरेली से होली तक लगभग 8 महीने गार्डन के सामने बेजा कब्जा कर दुकानदारी करने वाले लोगों को नगर निगम ने इसकी छूट दे रखी है। तो इससे अच्छा यह होगा कि गार्डन के सामने की जमीन इनके नाम कर दें और बाकायदा इन्हें लेंटर ढाल कर दुकानें आवंटित कर दें। रहा सवाल सड़क पर चलने वालों और कंपनी गार्डन में आने वालों की समस्या का..? तो शहरवासी इसे अभी भी भुगत ही रहे हैं.. उनकी परेशानी न तो बेजा कब्जा कर दुकानदारी करने वालों को दिखाई देती है और ना ही नगर निगम को।