सीपत के सिद्धेश्वर शिव मंदिर में जसगीत से माहौल हुआ भक्तिमय…नवरात्रि में बनारस से आकर पंडित करते है विशेष पूजा, एक ही स्थान में पांच देवी देवताओं की हो रही पूजा….
(इरशाद अली संपादक लोकस्वर टीवी) : बिलासपुर / बिलासपुर जिले के सीपत में स्थित सिद्धेश्वर शिव मंदिर एवं राधा कृष्ण वाटिका श्रद्धालुओं को भा गया है। करीब 33 साल पुराने इस मंदिर में अति प्राचीन मां सिद्धेश्वरी की मूर्ति स्थापित है। इसके अलावा मां काली, भगवान गणेश, हनुमान जी के अलावा भगवान शंकर की भी प्रतिमा स्थापित की गई है। आसपास के ग्रामीण भक्तों के अलावा अब यहां दूरदराज के श्रद्धालु भी उमड़ने लगे है। इन दिनों प्रदेश ही नही बल्कि देश दुनिया में मां जगदम्बे की भक्ति में श्रद्धालु लीन है। नवरात्रि के इस मौके पर तमाम देवी मंदिरों में आस्थावानों की भीड़ उमड़ रही है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में भी ऐसे कई सिद्ध और जागृत मंदिर हैं,जहां लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सीपत गांव में भी सिद्धेश्वर शिव मंदिर एवं राधा कृष्ण वाटिका श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुका है। पिछले कई वर्षों से की गई तपस्या का ही परिणाम है कि अब यह स्थल भव्य मंदिर के रूप में आकार लेता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में इस मंदिर की विशेषता बड़ी तेजी से लोगों के बीच पहुंची है। इस मंदिर में 5 देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं जिनकी अपनी अपनी विशेषता है।
भगवान शंकर, मां काली, प्रथम वंदनीय भगवान गणेश, मां सिद्धेश्वरी और हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है। नवरात्रि के अवसर पर यहां लोगों की खूब भीड़ लगती है।स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां जो भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित है वह पांडव कालीन है। इस मूर्ति का निर्माण पांडवों के द्वारा किया गया था, जो यहां से पहले देवरहा मंदिर में स्थापित था। मंदिर के संरक्षक बजरंग कुमार जायसवाल ने बताया कि मंदिर के जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंचने पर सीपत निवासी उनके पिता भरत लाल जायसवाल को स्वप्न आया था जिसके बाद प्रतिमा को वहां से लाकर यहां स्थापित किया गया और लगातार पूजा पाठ शुरू की गई।उन्होंने बताया कि यहां पिछले 33 सालों से पूजा पाठ की जा रही है। उन्होंने जानकारी दी कि यहां महाकाली,महासरस्वती महालक्ष्मी के साथ ही उनकी सहेलियों की भी प्रतिमाएं है।उनके मुताबिक इस मंदिर में आने के बाद श्रद्धालुओं को काफी शांति महसूस होती है। श्रद्धालु चतुर्भुज कुमार ने बताया कि विशाल सुखरी तालाब और छोटे से डेवेलोप हो रहे गार्डन के कारण यह धार्मिक स्थल और आकर्षक लगने लगा है। सप्तमी अष्टमी और नवमी में विशेष कार्यक्रम यहां श्रद्धालुओं के लिए आयोजित किये जाते हैं।अब तो यहां नवरात्रि के दिनों में मनोकामना ज्योति कलश भी प्रज्ज्वलित किये जा रहे हैं।
चैत्र और क्वार नवरात्रि में यहां विशेष पूजा के लिए बनारस से पंडित बुलाए जाते हैं।आस्था वानों की भक्ति जब ज्यादा दिखाई देने लगी तो उसके बाद दानदाताओं के सहयोग से यहां भंडारा भी शुरू हो गया। पंडित धीरज कुमार पांडेय के मुताबिक मंदिर में साक्षात देवी है जो आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना को पूरी करती है। मंदिर में तमाम धार्मिक आयोजनों में बढ़चढ़कर भाग लेने वाली श्रद्धालु सुनीता जायसवाल ने बताया कि यहां के शांत वातावरण में उन जैसे तमाम भक्तों को शांति मिलती है।ग्रामीणों के मुताबिक जैसे जैसे लोगों को इस स्थल की जानकारी लग रही है लोग आस्था के साथ यहां पहुंचने लगे है। साक्षात देवी श्रद्धालुओं की मनोकामना को पूरी करती है। यहां आने के बाद लोगों को सुखद एहसास भी होता है। श्रद्धालुओं के सहयोग से अब यहां चैत्र और क्वांर नवरात्रि के अलावा पूर्णिमा,नवधा रामायण,सप्तशती का पाठ भी होने लगा है। स्थानीय जनों के अलावा अब यहां दूर दूर से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आने लगे है।