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लोकसभा सचिवालय ने किस मामले में, राहुल गांधी से
15 फरवरी तक मांगा जवाब..?

(शशि कोन्हेर) : लोकसभा सचिवालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध में टिप्पणी को लेकर विशेषाधिकार हनन के नोटिस पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से 15 फरवरी तक जवाब तलब किया है। सचिवालय ने गांधी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों की ओर से दिए गए विशेषाधिकार हनन नोटिस पर जवाब देने को कहा है।  भाजपा सांसदों- निशिकांत दुबे और संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है, जिस पर सचिवालय ने 10 फरवरी को गांधी को एक पत्र लिखकर अपना जवाब 15 फरवरी तक लोकसभा अध्यक्ष के सामने पेश करने को कहा है।

लोकसभा में मंगलवार को ‘राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव’ पर चर्चा के दौरान गांधी के भाषण के बाद दुबे और जोशी ने उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया था। लोकसभा के एक अधिकारी द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है, “मैं आपसे 15 फरवरी, 2023 तक इस मामले में अपना जवाब/टिप्पणी देने का अनुरोध करता हूं।” राहुल गांधी ने 7 फरवरी को लोकसभा में अपने भाषण में हिंडनबर्ग-अडानी मामले को लेकर सरकार पर कई आरोप लगाए थे। लोकसभा अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में, दुबे ने कहा कि कांग्रेस सांसद ने नियमों के उल्लंघन में कुछ असत्यापित, अपमानजनक और मानहानिकारक बयान दिए। राहुल गांधी द्वारा की गई कई टिप्पणियों को अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही से हटा दिया था।

‘भाषणों से अंश हटाने से दिखता है भाजपा का तानाशाही चेहरा’
उधर, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उसके नेताओं की टिप्पणियों के अंश हटाना और उसके राज्यसभा सदस्य को निलंबित किया जाना खुलेआम पक्षपात है तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार विपक्ष को आतंकित करके संसद में ”सत्तावादी प्रभुत्व” स्थापित करना चाहती है। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि भाजपा नहीं चाहती कि संसद सर्वसम्मति, सहयोग और सहमति से चले, बल्कि वह इसे ‘टकराव, अराजकता और संघर्ष’ से चलाना चाहती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की कई टिप्पणियों को ‘अलोकतांत्रिक और असंसदीय’ तरीके से हटाने तथा राज्यसभा से रजनी पाटिल के निलंबन में भाजपा और सत्तारूढ़ व्यवस्था का ‘निरंकुश एवं तानाशाही चेहरा’ संसद के प्रत्येक सदन में पूरी तरह दिखा।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार विपक्ष को भयभीत, आतंकित, प्रताड़ित कर संसद में सत्तावादी प्रभुत्व स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। पिछले सप्ताह राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस में भाग लेने के दौरान क्रमश: लोकसभा और राज्यसभा में गांधी और खरगे के भाषणों से शब्द निकाले जाने की ओर इशारा करते हुए सिंघवी ने कहा कि इसमें कहा गया एक शब्द भी शब्द हटाने की शक्ति के उपयोग को न्यायोचित नहीं ठहराता। उन्होंने कहा, ”असंसदीय भाषा का कोई उपयोग नहीं हुआ, कोई अपशब्द नहीं बोला गया, किसी संस्था का अपमान नहीं किया गया, कोई आपत्तिजनक या अपमानजनक शब्द या वाक्यांश नहीं है।” यहां एआईसीसी (भारतीय जीवन बीमा निगम) मुख्यालय में उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘उन भाषणों में ऐसा कुछ भी नहीं है जो किसी तरह से अपमानजनक या अभद्र या असंसदीय या अशोभनीय हो।’

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