भारत धोखे में न रहे… अमेरिका का पहला प्यार पाकिस्तान ही है, हिंदुस्तान नहीं…!
(शशि कोन्हेर) : 2 दिन पहले ही पाकिस्तान में अमेरिका के राजदूत डोनाल्ड ब्लोम पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के दौरे पर गए थे। वहां उन्होंने पाक अधिकृत कश्मीर POK को आजाद कश्मीर कहकर पूरे भारत का गुस्सा भड़का दिया है। अमेरिकी राजदूत के द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर को, आजाद कश्मीर बोलने का पूरे देश में हर स्तर पर विरोध किया जा रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि अमेरिका अभी तक पीओके को पाक प्रशासित कश्मीर कहा करता था।
अमेरिका कोय पता है कि भारत पीओके समेत समूचे कश्मीर को अपना हिस्सा मानता है। और इसी के कारण चीन के द्वारा बनाई जा रही महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड इनीशिएटिव सड़क को अपनी सार्वभौमिकता के खिलाफ मानता रहा है। लेकिन इन सबके बावजूद 4 अक्टूबर के अपने प्रवास में अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम ने पाक स्थित अमेरिकी दूतावास के अधिकृत ट्विटर हैंडल से भी POK के लिए “आजाद कश्मीर” शब्द का उपयोग कर भारत को चौकन्ना कर दिया है।
देश में विदेश नीति पर नजर रखने वालों का एक वर्ग यह जानना चाह रहा है कि क्या डोनाल्ड ब्लोम ने पीओके को गलती से आजाद कश्मीर कहा है…या फिर जानबूझकर…? क्या उनके ऐसा कहने का भारत यह मतलब निकालें कि कश्मीर को लेकर अमेरिका का विचार पाकिस्तान की ओर करवट ले रहा है। इसके कुछ ही दिन पहले अमेरिका ने f-16 विमानों की मरम्मत और आधुनिकीकरण के लिए 450 मिलियन अमेरिकी डालर पाकिस्तान को देकर अपने पाकिस्तान प्रेम को उजागर किया था। उसे यह पता है कि किसान पाकिस्तान अपनी सैन्य शक्ति समिति एफ-16 विमानों का जब भी प्रयोग करेगा, भारत के खिलाफ ही करेगा।
भारत ने जब अमेरिका के इस कदम का विरोध किया तो अमेरिका ने उसे जिस तरह खारिज किया वह भी हमारे लिए दूरगामी खतरे की घंटी है। दरअसल पाकिस्तान की भौगोलिक अहमियत और चीन तथा अफगानिस्तान के साथ उसका गठबंधन हमेशा से अमेरिका को उसके मोहपाश में बांधा करता है। याद करिए 1971 का वह युद्ध जिसमें भारत ने बांग्लादेश के क्रांतिकारियों की फौजी मदद करने और पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांटने की कार्रवाई की थी । उस वक्त भी अपने पाकिस्तान के प्रेम से लाचार अमेरिका, भारत को रोकने के लिए किस तरह छटपटा रहा था,, यह कोई लुकी छुपी बात नहीं है।
और तो और अमेरिका ने अपना खतरनाक युद्धक सातवां बेड़ा भारत के खिलाफ रवाना कर दिया था। लेकिन उसके इरादे जमीन पर उतर पाते, उसके पहले ही, स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी और फील्ड मार्शल जनरल मानेकशॉ की चतुर चालों के कारण बांग्ला देश आजाद हो गया और जनरल नियाजी के साथ ही 90 हजार पाकिस्तानी फौजियों को भारत के आगे आत्मसमर्पण करना पड़ा था। दरअसल अमेरिका पाकिस्तान को हर हाल में अपने मोहपाश में बांधे रखना चाहता है। अगर वह कभी चीन या रूस की तरफ करवट लेता है तो अमेरिका भारत को आगे कर पाकिस्तान पर दबाव डालना शुरू कर देता है। और जैसे ही उसके रिश्ते पाकिस्तान से सामान्य और मधुर होने लगते हैं, अमेरिका भारत की तरफ पीठ दिखाने में देर नहीं करता।
उसका यह बयान कितना शर्मनाक है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की उसका सबसे बड़ा सहयोगी है। जबकि अमेरिका को यह भी पता है कि भारत में आतंकवादी हिंसा को पाकिस्तान किस तरह से प्रश्रय दे रहा है। ये सभी बातें यही साबित कर रहे हैं कि अमेरिका के लिए पाकिस्तान ही उसका पहला प्यार है। और पाकिस्तान को डराने धमकाने और अपने खेमे में रखने के लिए हिंदुस्तान सिर्फ उसका एक मोहरा मात्र है, इससे कुछ अधिक नहीं। हम कोई विदेश नीति के बहुत बड़े जानकार और विश्लेषक नहीं है। पर जो दिखता है वह यही है कि अमेरिका की मोहब्बत का पलड़ा शुरू से पाकिस्तान की ओर अधिक झुका रहता रहा है।
इसलिए हमारे देश के कर्णधारों को अमेरिकी फौज के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास जैसी दिखावटी नुमाइशों से किसी तरह की गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए। और बिना देर किए अपनी स्थिति इतनी मजबूत कर लेनी चाहिए। जिससे रूस अमेरिका और चीन तीनों को ही भारत का लोहा मानना पड़े। जाहिर है कि जिस दिन भी ऐसा होगा उस दिन, भारत के सामने पाकिस्तान का कोई राजनीतिक-कूटनीतिक वजूद ही नहीं रह जाएगा।