काबुल में अपना दूतावास फिर शुरू करेगा भारत
(शशि कोन्हेर) : विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी को काबुल के दौरे पर भेजने के बाद भारत अब जल्द ही अफगानिस्तान स्थित अपने दूतावास को भी दोबारा खोलने को लेकर गंभीर है। हालांकि भारत अभी तालिबान की सत्ता को आधिकारिक स्वीकृति देने पर विचार नहीं कर रहा है।
पिछले दिनों विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (ईरान, अफगानिस्तान व पाकिस्तान) के नेतृत्व में काबुल गए भारतीय दल की तालिबान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत हुई थी और वहां के जमीनी हालात का जायजा लिया गया। इसके बाद भारत ने अपने दूतावास में कामकाज फिर से शुरू करने का मन बनाया है। तालिबान की तरफ से भारतीय दूतावास व उसमें काम करने वाले अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम करने में सहयोग का आश्वासन मिला है।
तालिबान सरकार को आधिकारिक दर्जा दिए बगैर अफगानिस्तान में होगी उपस्थिति
बताया जा रहा है कि मुलाकात के दौरान तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुताक्की ने स्वयं संयुक्त सचिव जेपी सिंह को भारतीय दूतावास में काम शुरू करने का कई बार आग्रह किया।आधिकारिक तौर पर तो विदेश मंत्रालय ने यह बताया था कि भारतीय विदेश मंत्रालय का दल काबुल की यात्रा पर भारत की तरफ से मानवीय आधार पर दिए जा रहे मदद का आकलन करने गया था लेकिन इस दल के साथ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के भी कुछ अधिकारियों के शामिल होने की सूचना है।
इन अधिकारियों ने अपने स्तर पर काबुल में सुरक्षा हालात का आकलन किया है। इस बारे में भारतीय दल का मानना है कि काबुल शहर में सुरक्षा के इंतजाम पर भरोसा किया जा रहा है। चीन, रूस समेत कुछ दूसरे देशों के दूतावास वहां पहले से ही काम कर रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि भले ही भारत अभी तालिबान की सत्ता को आधिकारिक दर्जा नहीं दे लेकिन सिर्फ दूतावास खोलने से ही तालिबान को काफी मदद मिलेगी। तालिबान अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को यह दिखा सकता है कि पूरे अफगानिस्तान में हालात सामान्य हो रहे हैं। भारतीय दूतावास को खोले जाने के बाद कुछ दूसरे देश भी वहां अपने दूतावासों पर लगे ताले को हटा सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि भारत ने अचानक ही अपना दल काबुल नहीं भेजा था बल्कि तालिबान के साथ लगातार संपर्क कायम है और इस बारे में बातचीत हो रही है। भारतीय टीम ने तालिबान को यह भी स्पष्ट किया है कि जो भी मदद भारत अफगानिस्तान को दे रहा है या भविष्य में जो भी फैसला किया जाएगा।
वह भारतीय हितों की सुरक्षा और अफगानिस्तान की जनता की भलाई को सर्वोपरि रखते हुए ही किया जाएगा। तालिबान को यह भी उम्मीद है कि दूतावास खोले जाने के बाद भारत से वहां अनाज व दूसरी मदद भेजने की अड़चनें काफी कम हो जाएंगी।
तालिबान पाकिस्तान की तरफ से भारतीय मदद की राह में रोड़े अटकाने से भी काफी परेशान है। मसलन, अफगानिस्तान को अभी गेहूं चाहिए और भारत गेहूं भी देने को तैयार है, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से इसमें बाधा डाली जा रही है।
भारत ने अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं देने का एलान किया है लेकिन सिर्फ 20 हजार टन गेहूं की भेजा जा चुका है। इसके अलावा भारत का यह आकलन है कि उसकी अनुपस्थिति में काबुल में पाकिस्तान के साथ ही चीन, रूस और ईरान जैसे देश तेजी से अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहे हैं। इसलिए भी दूतावास खोले जाने को लेकर सहमति बन रही है।