नैक से मूल्यांकन के लिए चरणबद्ध रूप से प्रथम वर्ष से ही कार्य करना श्रेयस्कर है : डॉ डी. के. श्रीवास्तव
स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय, बिलासपुर में दिनांक 5 दिसम्बर को “नैकः क्या, क्यों एवं कैसे विषय पर फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत शिक्षकों एवं कार्यालयीन स्टाफ हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह आयोजन आईक्यूएसी के मार्गदर्शन में नैक स्टीयरिंग कमिटी द्वारा आयोजित किया गया ।
जिसमे रिसोर्स पर्सन के रूप में डा शुभदा रहालकर, विभागाध्यक्ष, प्राणिशास्त्र विभाग, शासकीय बिलासा कन्या महाविद्यालय, बिलासपुर एवं डा. डी.के. श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, शासकीय ई. राघवेन्द्रराव विज्ञान महाविद्यालय, बिलासपुर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डा. एस. एल. निराला ने की।
माँ सरस्वती के छाया चित्र पर माल्यार्पण के पश्च्यात कार्यशाला प्रारंभ हुई। डा. प्रेमलता वर्मा कार्यक्रम की संयोजिका ने विस्तारपूर्वक नैक के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। प्रथम सत्र में डा. शुभदा रहालकर ने पॉवरपॉइंट के माध्यम से “नैक क्या एवं क्यों” पर अपनी कार्यशाला को केंद्रित करते हुए नैक के गठन, कार्यप्रणाली एवं विभिन्न क्राइटेरिया की आवश्यकता तथा महाविद्यालय के द्वारा किये जाने वाले गतिविधियों पर सारगर्भित जानकारी प्रदान की।
उन्होंने बताया कि नैक हेतु महाविद्यालय को चार-पांच वर्ष पूर्व से ही तैयारी करनी चाहिए जिससे मूल्यांकन के समय बेहतर ग्रेड प्राप्त करने में कोई भी परेशानी नहीं होगी। उन्होंने महाविद्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि महाविद्यालय स्थापना दिनांक से ही मिशन एवं विज़न पर केंद्रित कार्यक्रम का आयोजन विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए कर रहा है जो महाविद्यालय की उपलब्धि है।
द्वितीय सत्र में डा डी. के. श्रीवास्तव ने “नैकः कैसे” विषय पर कार्यशाला में नैक के सातों क्राइटेरिया के अंतर्गत आनेवाले क्वालिटेटिव एवं क्वांटिटेटिव मेट्रिक्स के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए मार्किंग पैटर्न एवं नैक से मूल्याकन क्यों कराना आवश्यक है विषय पर विभिन्न उदाहरण के साथ बात रखी।
उन्होंने गुणवत्ता की परिभाषा के साथ गुणवत्ता उन्नयन हेतु किये जाने वाले प्रयासों की जानकारी देते हुए कहा कि ‘प्रत्येक महाविद्यालय के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने महाविद्यालय का स्वयं एवं बाह्य मूल्यांकन सतत रूप से कराते रहे ताकि गुणवत्ता में किसी भी प्रकार की कमी न हो तथा शिक्षा विद्यार्थी केंद्रित होनी चाहिए न कि शिक्षक केंद्रित”। टेक्नोलॉजी के उपयोग, शैक्षणिक एवं शैक्षनेत्तर गतिविधियों के आयोजन के साथ महाविद्यालय को आउटकम बेस्ड लर्निंग पर ध्यान देते हुए नावाचार को बढावा देना चाहिए।
उन्होंने पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रत्येक क्राइटेरिया के अंको के संबंध में बताया कि बैंक के कांसेप्ट नोट को अनिवार्यतः ध्यानपूर्वक पढक एसओपी एवं एक्सटेंडेड प्रोफाइल के अनुसार डॉक्यूमेंटेशन किया जाना अनिवार्य है जिससे प्रत्येक क्राइटेरिया में अच्छे अंक प्राप्त किये जा सकते हैं। डा. श्रीवास्तव ने महाविद्यालय के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा स्थापित 10 स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालयों में से बिलासपुर का महाविद्यालय पहला महाविद्यालय है ।
जिसने महाविद्यालय में आईक्यूएसी का गठन करते हुए बैठक आयोजित की एवं वैल्यू एडेड कोर्स का अनुमोदन भी कराया है। इसी क्रम में महाविद्यालय द्वारा नैक स्टीयरिंग कमिटी का गठन गुणवत्ता एवं मूल्यांकन की प्रक्रिया की और बढ़ने का कारगर कदम भी है। उन्होंने सभी शिक्षकों एवम स्टाफ से नैक हेतु संगठित एवं सामूहिक प्रयास करने पर बल दिया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महाविद्यालय के प्राचार्य डा एस. एल. निराला ने कहा कि महाविद्यालय द्वारा चरणबद्ध रूप से कार्यकर्मों का आयोजन किया जाना गुणवत्ता की प्रथम सीढ़ी है एवं आगामी पांच वर्षों बाद जब महाविद्यालय नैक से मूल्यांकन हेतु अहर्ता प्राप्त करेगा तो बेहतर ग्रेड प्राप्त करने में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी। उन्होंने कार्यक्रम के संयोजक डा प्रेमलता वर्मा एवं आयोजन सचिव डा संजय कुमार धनवानी की प्रशंसा करते हुए कहा कि महाविद्यालय का समस्त स्टाफ सतत एवं सामूहिक रूप से रचनात्मक गतिविधियों में क्रियाशील है।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डा संजय कुमार धनवानी, आयोजन सचिव के द्वारा किया गया। कार्यशाला का सफल सञ्चालन श्रीमती कृतिका साहू, अतिथि व्याख्याता भौतिकी के द्वारा किया गया। महाविद्यालय द्वारा बेस्ट प्रक्टिस के अंतर्गत अतिथियों का स्वागत गुलदस्ते के स्थान पर पौधा देकर किया जाता है जिससे पर्यावरण संतुलन को बढ़ावा दिया जा सकें।
कार्यशाला में डा. जी. ए. घनश्याम, डा. श्वेता श्रीवास, श्रृष्टि शर्मा, उमा धिराहे, अदिति सैनी, विशाल प्रताप सिंह, आर्या त्रिपाठी, जी.डी. सलाम एवं राकेश राज उपस्थित रहे।