उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले विज्ञापन से बचना जरूरी- केंद्र सरकार
(शशि कोन्हेर) : नई दिल्ली : केंद्र ने सोमवार को कहा कि उपभोक्ताओं के हित में विज्ञापनों में कोई छिपी हुई शर्त नहीं होनी चाहिए। साथ ही, विज्ञापन की छिपी हुई शर्तों को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए न कि हैशटैग या लिंक के रूप में।
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने सोमवार को मुंबई में भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए सोशल मीडिया विज्ञापन को जिम्मेदारी से चलाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश में 50 करोड़ सोशल मीडिया यूजर्स मौजूद हैं, ऐसे में सबको अपनी जिम्मेदारी से निभाना चाहिए।
रखी जाए पारदर्शिता
उपभोक्ता मामलों के सचिव कहा कि इन्फ्लुएंसर्स और मशहूर हस्तियों को विज्ञापनदाताओं के साथ किसी भी तरह के संबंध का खुलासा करने की आवश्यकता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो यह उन लोगों के साथ-साथ ब्रांड की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि इन खुलासों को बिना लाग-लपेट वाला और बिना हैशटैग या लिंक के साथ होना चाहिए।
सचिव ने कहा कि सभी शर्तों और डिस्क्लेमर को फोटो पर दिखाया जाना चाहिए। वीडियो फीचर में ऑडियो और वीडियो, दोनों प्रारूपों में इस बात का जिक्र होना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विज्ञापन किसी भी तरह उपभोक्ताओं को गुमराह न करें। निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं, विज्ञापनदाताओं और विज्ञापन एजेंसियों के कर्तव्य पर जोर दिया जाना चाहिए।
व्यवसायों और उपभोक्ता हितों बीच संतुलन जरूरी
सचिव ने व्यवसायों और उपभोक्ता हितों की रक्षा के बीच संतुलन बनाने की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा साझा की गई भावना को दोहराया कि इन दोनों को साथ-साथ चलना चाहिए। अच्छे और बुरे विज्ञापनों के बीच अंतर को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा व्यवसायों के विकास में बाधा डालना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि नैतिक मानकों को पूरा किया गया है।