बाल विवाह विरोधी एवं विधवा विवाह के समर्थक थे ज्योतिबा फूले : धरमलाल कौशिक
(शशि कोन्हेर) : पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने समाज सुधारक ज्योतिबा गोविंदराव फूले के जयंती समारोह के अवसर पर बिल्हा विधानसभा क्षेत्र के बूथ क्रमांक 276 ग्राम हरदीकला में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित किया एवं सामाजिक न्याय सप्ताह कार्यक्रम के अन्तर्गत भाजपा कार्यकर्ता मंजू टण्डन के निवास में महिलाओं के साथ सहभोज किया।
इस अवसर पर उन्होनें कहा कि ज्योतिबाराव गोविंदराव फूले 19वीं सदी के एक समाज सुधारक, समाज प्रबोध, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे। इन्होनें अपना पूरा जीवन मातृशक्ति को शिक्षा का अधिकार दिलाने,बाल विवाह को बंद कराने में लगा दिया वे फूले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से सामाज को मुक्त करना चाहते थे।
इनका मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है। उन्होनें कहा कि ज्योतिबाराव फूले ने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई थीं। स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से फुले बहुत व्याकुल और दुखी होते थे इसीलिए उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि वे समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाकर ही रहेंगे उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की।
जिन्हें आज भी भारत की प्रथम महिला अध्यापिका के रूप में जाना जाता है। उन्होनें कहा कि समाज सुधारक ज्योतिबाराव फूले के कठोर संर्घष से ही आज महिलाएं कन्याएं स्कूल-कॉलेज में स्वतंत्र रूप से पढ़ सकती है, किसी संगठन में पुरूषों के समान ही काम करने के साथ ही समाज के उत्थान में अपना योगदान दे सकती है।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कौशिक ने कहा कि 19 वीं सदी में समाज में फैली महिला विरोधी कुरीतियों, उनके शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले महान समाज सुधारक ज्योतिबा फुले के प्रयासों व सशक्तिकरण की दिशा उनके द्वारा दिया गया अभूतपूर्व योगदान कभी नहीं भूला जा सकता। इस अवसर पर बड़ी संख्या में माहिलाएं एवं आमजन उपस्थित हुई।