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कर्नाटक हाईकोर्ट हिजाब मामले की सुनवाई इसी सप्ताह खत्म करने के पक्ष में.. ए जी ने कहा बिना हिजाब के भी इस्लाम जिंदा रह सकता है. फ्रांस में हिजाब पर रोक, लेकिन मुस्लिम धर्म मानने अथवा न मानने पर कोई रोक नहीं

(शशि कोन्हेर) : कर्नाटक में हिजाब पर मचे घमासान पर आज भी सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस ने कहा मैं सभी पक्षों को बताना चाहता हूं कि सुनवाई इसी सप्ताह समाप्त हो जानी चाहिए हम नहीं चाहते कि यह अगले सप्ताह तक जाए। इस सप्ताह सभी तर्कों को पूरा करने का प्रयास करें एडवोकेट जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को संदेश है पर प्रदर्शित करना है कि क्या पालन करना अनिवार्य है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या अनिवार्य है और क्या वैकल्पिक। फ्रांस का उदाहरण देखिए पूरे देश में हिजाब पर प्रतिबंध है, लेकिन इस्लाम को मानने न मानने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। एडवोकेट जनरल ने कहा कि अनुच्छेद 19 के अधिकार के रूप में हिजाब पहनने के अधिकार को अनुच्छेद 19 दो के तहत प्रतिबंधित किया जा सकता है। वर्तमान मामले में नियम 11 संस्थानों के अंदर एक उचित प्रतिबंध लगाता है। या संस्थागत अनुशासन के अधीन है। परिसर में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है यह केवल कक्षा और कक्षा के घंटों के दौरान होता है। वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकट मणि ने टीचर्स का पक्ष रखते हुए कहा कि अनुशासन और व्यवस्था शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। महक आने की कोशिश नहीं कर रहा हूं कि धर्म A उच्च है या धर्म B निम्न है।। धर्मों का कोई पदानुक्रम नहीं है। एक शिक्षक के रूप में मैं कक्षा में एक स्वतंत्र दिमाग रखना पसंद करूंगा। जब तक समुदाय में सदस्यता है तब तक अनुशासन लाने के लिए राज्य और स्कूल की ओर से कोई भी उपाय सार्वजनिक व्यवस्था की आवश्यकता है।

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