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कश्मीर घाटी और कड़ाके की ठंड तो जम्मू को तपा रही है सियासी गर्मी….

(शशि कोन्हेर) : जम्मू : कश्मीर की ठंड में बना राजनीतिक गतिरोध इन दिनों जम्मू की गर्माहट में दूर रहा है। अक्सर कश्मीर में बैठ प्रदेश की सियासत करने वाले प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता लगातार जम्मू संभाग के विभिन्न क्षेत्रों के दौरे कर बैठकें और जनसभाएं कर लोगोंं के बीच अपनी पैठ बनाने को सक्रिय हो चुके हैं। बीते सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह के छह-आठ माह के दौरान विधानसभा चुनाव कराने के एलान ने आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति में सरगर्मियां बढ़ा दी हैं।

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला पांच दिनों से जम्मू में डेरा डाले हैं। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर भी जम्मू के दौरे पर थे, लेकिन परिवार में एक सदस्य की अचानक मृत्यु होने पर वह कश्मीर लौट गए। वह भी हर 15-20 दिन बाद जम्मू में रैलियां करते नजर आते हैं।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और महबूबा मुफ्ती बीते तीन माह के दौरान जम्मू में छह दौरे कर चुकी हैं। तीन दिन पहले वह राजौरी-पुंछ का दौरा कर कश्मीर लौटी हैंं। जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैन सैयद अल्ताफ बुखारी भी लगातार जम्मू में पार्टी जनों के साथ बैठकें कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद चार दिन जम्मू बिताने के बाद मंगलवार को दिल्ली लौटे हैं।

आजाद का यह दौरा निजी था, लेकिन कांग्रेस के कई नेताओं ने उनके साथ मुलाकात कर इसे सियासी दौरा बना दिया। जम्मू कश्मीर में अगस्त 2019 के बाद से ही सियासी गतिरोध बना हुआ है जिसे कुछ हद तक नवंबर-दिसंबर 2020 में हुए जिला विकास काउंसिल चुनाव ने दूर करने का प्रयास किया था। इसके बाद से घाटी में राजनीतिक गतिविधियां लगभग ठप हैं। कश्मीर घाटी में इस वक्त भयंकर ठंड और बर्फबारी का दौर चल रहा है। वहां अप्रैल तक माहौल सर्द रहता है। इसके बाद वहां भी राजनीतिक सरगर्मी तेज हो सकती है।

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