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PM पद के लिए अपना नाम सुनकर असहज हुए खड़गे,इनकी  तरफ किया इशारा…..

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को इंडिया गठबंधन की बैठक में अचानक विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित करके सबको चौंका दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि खरगे पीएम पद के लिए एक ‘दलित’ चेहरा हो सकते हैं।

आपको बता दें कि इससे पहले ममता और केजरीवाल की सोमवार को मुलाकात हुई थी। खरगे के नाम का प्रस्ताव देते हुए दोनों ही मुख्यमंत्रियों ने दलील दी कि विपक्षी गठबंधन को एक संयोजक की आवश्यक्ता हो सकती है क्योंकि 28 दलों के साथ समन्वय करने की भी जरूरत पड़ेगी।

ममता की दलील का समर्थन करते हुए बैठक में केजरीवाल ने कहा कि खड़गे को संयोजक नियुक्त करने के अलावा गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए पसंद भी घोषित किया जाना चाहिए। ममता बनर्जी के साथ उन्होंने कहा, “मैंने कुछ शोध किया है और विश्वास के साथ कह सकता हूं कि दलित चेहरे के साथ चुनाव में उतरने से बड़ा फायदा होगा। हमारे पास पीएम के रूप में कोई दलित नहीं है और इससे हमें मदद मिलेगी खासकर कर्नाटक में।”

सूत्रों ने कहा कि खड़गे के पक्ष में प्रस्ताव सामने आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के लिए भी अजीब स्थिति पैदा हो गई। खड़गे ने कहा, “सबसे पहली बात हमें बीजेपी को हराने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। पीएम चुनने का मुद्दा चुनाव के बाद तय किया जाना चाहिए।” उन्होंने पार्टी प्रमुखों सोनिया गांधी और राहुल गांधी को देखते हुए यह भी कहा कि उन्होंने कभी भी कोई पद हासिल करने के लिए अपनी जातिगत पृष्ठभूमि का इस्तेमाल नहीं किया है।

सूत्रों ने बताया कि मंगलवार की बैठक में नेताओं के बीच सौहार्द्र का अभाव नजर आया। इससे पहले की बैठकों में आपसी तालमेल काफी सकारात्मक था। इंडिया गठबंधन की पिछली तीन बैठकों के विपरीत कई क्षेत्रीय दलों के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए। बैठक खत्म होते ही ममत बनर्जी, एमके स्टालिन, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे और जयंत चौधरी कार्यक्रम स्थल से चले गए।

बैठक के दौरान कई पार्टियां थीं जिन्होंने कांग्रेस से तीन राज्यों के चुनावों में उसकी हालिया हार के बारे में सवाल किया। स्टालिन ने कहा कि इन तीन राज्यों में मिली हार से कुछ सबक सीखने की जरूरत है। वहीं, बैठक में शामिल अन्य लोग भी कांग्रेस नेतृत्व से जानना चाहते थे कि भोपाल में संयुक्त रैली क्यों रद्द कर दी गई।

आपको बता दें कि बैठक में फैसला लिया गया कि 10 जनवरी तक सीट बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।

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