जानिये…साईं ट्रस्ट ने जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी से क्यों मांगी माफी
(शशि कोन्हेर) : रायपुर, नरसिंहपुर – साईं मामले में ज्योतिष एवं द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर करने वाले मुंबई-साईंधाम चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रमुख रमेश जोशी ने मीडिया के समक्ष माफी मांगी है। शनिवार को परमहंसी गंगा आश्रम पहुंचे रमेश जोशी ने साईं से संबंधित विभिन्न साहित्य और साक्ष्यों-दस्तावेजों के आधार पर यह घोषणा भी की, कि साईं मुस्लिम फकीर थे।
ट्रस्ट प्रमुख रमेश जोशी ने यहां शंकराचार्य के समक्ष कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी याचिकाएं दो-दो बार खारिज कर दी गईं, इसके बाद उन्होंने अपने व्यक्तिगत तौर पर एक संस्था से अनुसंधान कराया। इसमें पता चला कि साईं को लेकर तरह-तरह की भ्रामक बातें हैं। इससे उनके मन में परिवर्तन आया और उन्हें लगा कि वह अब तक सनातन सत्य के बीच काम कर रहे थे। इससे ग्लानि हुई और वह यहां माफी मांगने पहुंचे हैं।
शिर्डी साईं ट्रस्ट द्वारा इस वषर्ष मनाए जा रहे साईं महोत्सव पर खर्च किए जाने वाले 13 सौ करोड़ रुपए को लेकर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि यह फिजूलखर्ची रोकी जाए। इस पैसे का उपयोग साईं ट्रस्ट महाराष्ट्र के लातूर क्षेत्र में खर्च किया जाए ताकि वहां पानी की दिक्कत को दूर किया जा सके। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा संस्थान को उपलब्ध कराई जा रही 300 एकड़ भूमि पर भी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने इस बात पर भी क़$डी आपत्ति दर्ज कराई कि अब भगवत गीता तथा दुर्गा चालीसा के स्थान पर साईं गीता और साईं दुर्गा चालीसा प्रकाशित कर श्रद्धालुओं को गुमराह किया जा रहा है।
शंकराचार्य ने कहा कि गंगा को बांध से मुक्त रखना चाहिए। रेत खनन से नर्मदा के बिगड़ रहे अस्तित्व पर कहा कि नर्मदा को अब संरक्षण की आवश्यकता है। नर्मदा को भी उन्होंने बांध से मुक्त रखने की आवश्यकता बताई। शंकराचार्य ने इस बात पर जोर दिया कि गीता को विद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। जब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जापान के प्रधानमंत्री को राष्ट्र की ओर से गीता का पावन ग्रंथ भेंट करते हैं तो आवश्यकता इस बात की है कि गीता को राष्ट्र ग्रंथ घोषित किया जाए और विद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। उन्होंने पाठ्यक्रम में गीता के शामिल होने के प्रस्ताव का विरोध करने वालों को खोखली मानसिकता और तुष्टीकरण की नीति पर चलने वाला बताया।