बिलासपुर

कोटा में एसडीएम ने, अवैध बोर खनन करती, दो गाड़ियों को किया जब्त

(डब्बू ठाकुर) : बिलासपुर। कोटा एसडीएम हरिओम द्विवेदी ने अनुविभाग कोटा के ग्राम पंचायत परसदा व ग्राम पंचायत रतखण्डी(बरर) से अवैध बोर खनन करते दो बोर गाड़ियों को जब्त कर थाना कोटा व चौकी बेलगहना के सुपुर्द किया। बता दें कि, गर्मियों में होने वाली पानी की कमी और गिरते जलस्तर को देखते हुए जिले में पेयजल संरक्षण अधिनियम के तहत बिना सक्षम अनुमति के बोर खनन पर प्रतिबंध लगा हुआ है। फिर भी बोर गाड़ियों के द्वारा किसानों से मनमाने दाम वसूल करके बिना अनुमति के धड़ल्ले से बोर करने की शिकायतें लगातार प्राप्त हो रहीं थीं।

विदित हो कि जिला प्रशासन के द्वारा बीते कई वर्षों से लगातार हो रही कम बारिश का दुष्परिणाम यह हुआ है कि भूजल स्तर में निरंतर गिरावट बनते ही जा रही है जिसे ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा नए बोर खनन पर प्रतिबंध लगा दिया है किंतु इसके बाद भी इस व्यवसाय से जुड़े हुए एजेंट लोगों के द्वारा शासन के आदेशों को अनदेखी कर लगातार इसकी फायदा रात में उठाया जा रहा है व दिन में ग्रामीण क्षेत्रों में।फायदा उठाकर ऊंचे दामों पर अवैध खनन को बेखौफ होकर अंजाम दे रहे हैं। इस हरकत के चलते एक ओर जहां किसानों का शोषण हो रहा है। किसान अधिक दाम देने के लिए विवश हो रहे हैं, वहीं किसानों की व्यवस्था का भरपूर फायदा उठाकर इस व्यवसाय से जुड़े हुए लोग एक मोटी रकम की कमाई में लगे हुए हैं। कोटा में हुई कार्रवाई निश्चित रूप से इस व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों के लिए एक तरह से चेतावनी की बात कही जा सकती है कि आने वाले दिनों में भी यदि इस तरह से गोरख धंधा किया जाता रहा तो इस तरह की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। इस तरह की कार्रवाई ने किसी तरह के राजनीतिक हस्तक्षेप या राजनीतिक लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकेगा।अवैध खनन के साथ-साथ कोटा विधानसभा में अनुविभागीय अधिकारी हरिओम द्विवेदी के पद स्थापना के बाद से अवैध उत्खनन पर भी लगातार कार्रवाई की जाती रही है जिसके ही चलते अवैध उत्खननकर्ताओं में एक तरह से हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। कुछ इस तरह के हालात अब अवैध खनन में भी देखे जा सकते हैं।

जब बोर खनन पर प्रतिबंध तो इस तरह की वाहन की आवश्यकता क्यों।

जब जिला प्रशासन के द्वारा जिले में बोर खनन पर प्रतिबंध लगाया गया है तो और प्रशासन इस प्रतिबंध को पूरी तरह से लागू करना चाहती है तो निश्चित रूप से इस व्यवसाय से जुड़े हुए वाहनों को ही जिले में प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए। यदि किसी विशेष परिस्थिति में जिला प्रशासन अनुमति देती भी है तो उक्त वाहनों में अनुमति के कागजात होना आवश्यक कर दिया जाना चाहिए। प्रशासन इस तरह का कोई निर्देश जारी कर देता है तो निश्चित गोरखधंधा पर विराम लगाया जा सकता है।

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