अम्बिकापुर

नहरों में साफ सफाई का अभाव जल संसाधन विभाग को सुध लेने की फुर्सत नहीं…..


(मुन्ना पाण्डेय) : लखनपुर– (सरगुजा) – सरगुजा के प्रथम मध्यम सिंचाई परियोजना के रूप में आदिवासी लघु सीमांत किसानों के लिए सन 1976 से वरदान के रूप में देखे जाने वाले कुंवरपुर जलाशय विभागीय उच्चाधिकारियों के घोर उपेक्षा का शिकार है आसपास के किसानों का आरोप है कि निरीक्षण कुटीर बाग बगीचा मुख्य नहर एवं छोटी माइनर देखरेख साफ सफाई के अभाव में बदहाल स्थिति पर आंसू बहा रहा है दरअसल विभागीय अधिकारियों द्वारा साफ सफाई मरम्मत व्यवस्था सुधार के नाम पर कोरम ही पूरा किया जाता है। विभाग से जानकारी लेने पर प्रतिवर्ष हो रहे रखरखाव व मेंटेनेंस के नाम पर शासन मद से राशि खर्च तो किया जाता है पर इसका लाभ मैदानी स्तर पर नहीं दिखता। किसानों ने बताया कि सप्लाई नहर के जगह जगह कटाव और खोह हो जाने तथा नहर में झाड़ झखाड उग आने कारण आधे से अधिक पानी किसानों को नहीं मिल पाता। मेंटेनेंस के नाम पर प्रतिवर्ष मजदूरी भुगतान की जानकारी तो बता दी जाती है पर व्यय कहां किया जाता है नहीं बताया जाता। कुंवरपुर बांध से सम्बंध मुख्य नहर में लाइनिंग का कार्य विभाग द्वारा कराया तो गया है परन्तु मुख्य नहर में ग्राम लटोरी, तराजू ,कोरजा एवं लखनपुर छोटी माइनर में झाड़ झखाडो ने बसेरा बना रखा है। किसानों का आरोप है कि माह जून जुलाई में नहर मेडो की दिखावटी मरम्मत साफ सफाई विभाग के अधिकारी कर्मचारीयों द्वारा कराके प्राप्त शासन मद राशि का बंदरबांट कर महज़ कागज़ी खाना पूर्ति कर दिया गया लेकिन बदइतजामी बरकरार है।


नहर मेडो की स्थिति बदतर जस का तस बना हुआ है । आसपास के किसानों ने बताया कुंवरपुर जलाशय क्षेत्र के किसानों के लिए प्रकृति का नायाब वरदान है । पूर्व में जलसंसाधन विभाग द्वारा गुमगराकला, बगदरी क्षेत्र में कंट्रोल रूम स्थापित कर किसानों की समस्या निवारण शिविर लगाये जाने के दावे सभी झूठे साबित होकर रह गये। पूर्व के जिम्मेदार अधिकारियों की तरह मौजूदा समय में विभाग के आला अधिकारियों ने अपने विभागीय व्यवस्था को कायम रखने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जिससे बांध मेड नहरों की रखरखाव पर सवालिया निशान लगने लगा है। किसानों का कहना है कि बांध निर्माण के कुछ वर्षों तक तो बनाए गए नियम कायदों का चलन जारी रहा बाद में विभागीय अधिकारी कर्मचारी बदल गए बाद इसके विभागीय सारे नियम कायदे धीरे-धीरे समाप्त हो गया।

किसानों की मानें तो बांध बनने के बाद हरा भरा फलता फूलता खूबसूरत बगीचा था जहां अब विरानियो ने डेरा जमा रखा है। विभागीय अनदेखी का बगीचा के सौन्दर्यता पर ऐसा असर हुआ कि हरे भरे लहलहाते फल फूलदार पेड़ पौधे सुख कर बंजर हो गए। किसानों का मानना है जलाशय के निरीक्षण कुटीर व आगे मंदिर तक लगे स्ट्रीट लाइट से बांध की रौनक लौट आई है ।परन्तु सदाबहार बगीचा के सौन्दर्यता को ऐसा ग्रहण लगा कि आज तक उबर नहीं पाया। उस पर कोई कार्य नहीं हो सका और बगीचे के वैगैर बांध की खूबसूरती अधुरी सी है। यदि कुंवरपुर जलाशय की सौन्दर्यीकरण हो जाये तो बांध तक आने वाले पर्यटकों की तादाद बढ़ने के भरपूर सम्भावना है। पर जलसंसाधन विभाग के आला अधिकारियों को सुध लेने की फुर्सत नहीं है।


क्षेत्र के किसानों ने जिला प्रशासन व संबंधित विभाग के आला अधिकारियों से बांध सौंदर्यीकरण एवं नहरों में साफ सफाई मरम्मत कराये जाने मांग किया है।

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