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काशी, मथुरा को छोड़ दो दूसरी मस्जिदों के पीछे नहीं जाएंगे हिंदू -राम मंदिर कोषाध्यक्ष की सलाह

अयोध्या के बाद अब काशी और मथुरा में हिंदुओं के ‘मूल स्थानों’ को लेकर मांग तेज हो गई है। इन दोनों जगहों को लेकर मामला कोर्ट में चल रहा है। इस बीच श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि महाराज ने कहा कि अयोध्या के बाद अगर काशी और मथुरा शांतिपूर्ण रूप से मुक्त हो जाते हैं तो हिंदू समुदाय विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किए गए अन्य सभी मंदिरों से संबंधित मुद्दों को भूल जाएगा। उन्होंने कहा कि विदेशी हमलों में 3500 हिंदू मंदिर तोड़े गए।

रविवार को पुणे के आलंदी में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान गोविंद देव गिरि महाराज ने ये बात कही। यहां उनके 75वें जन्मदिन समारोह के हिस्से के रूप में 4 से 11 फरवरी के बीच विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और श्री श्री रविशंकर सहित अन्य लोग शामिल होंगे।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गोविंद देव गिरि महाराज ने कहा, “अगर ये तीन मंदिर मुक्त हो जाएं तो हम दूसरी (मस्जिदों) की ओर देखने की इच्छा भी नहीं रखते, क्योंकि हमें भविष्य में जीना है, अतीत में नहीं। देश का भविष्य अच्छा हो, इसलिए बाकी दोनों मंदिर (काशी और मथुरा) हमें शांति से, प्रेम से मिल जाएं तो हम बाकी सब बातें भूल जाएंगे।”

महाराज ने मुस्लिम समुदाय से आग्रह किया कि वे इस मसले के शांतिपूर्ण समाधान के लिए उनकी मांग का समर्थन करें। उन्होंने कहा कि मामला सिर्फ हमलों के निशान मिटाने का है और इसे दो समुदायों के बीच की समस्या नहीं माना जाना चाहिए। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए महाराज ने कहा, “हमारी तो हाथ जोड़कर प्रार्थनाएं हैं कि ये तीनों मंदिर (अयोध्या, ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि) को सौंप दिया जाना चाहिए क्योंकि ये आक्रमणकारियों द्वारा हमारे ऊपर किए गए (हमलों के) सबसे बड़े निशान हैं। इसके कारण लोगों के अंदर बहुत वेदना है। अगर इस वेदना को वे लोग (मुस्लिम पक्ष) शांति के साथ दूर कर देते हैं तो भाईचारा बढ़ाने में और अधिक सहयोग मिलेगा।'”

उन्होंने कहा, “हमने (राम मंदिर के लिए) शांतिपूर्ण समाधान ढूंढ लिया। अब क्योंकि ऐसा युग शुरू हो गया है, तो हमें उम्मीद है कि अन्य मुद्दे भी शांतिपूर्ण तरीके से हल हो जाएंगे।” महाराज ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोग शेष दो मंदिरों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए तैयार हैं लेकिन कुछ लोग इसका विरोध करते हैं। उन्होंने कहा, “हम स्थिति के अनुसार रुख अपनाएंगे और उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी गैर-शांतिपूर्ण माहौल न बने।”

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