संवर रही जिंदगिया: जेल की कोठरी में शिक्षा का उजाला
(आशीष मौर्य) : बिलासपुर केंद्रीय जेल में सजायाफ्ता बंदी अपने जीवन के अंधेरे को शिक्षा की रोशनी से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। अपराधियों के भविष्य को संवारने के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के तहत शिक्षा कार्यक्रम चलाया जा रहा है।इसके साथ ही पहली से लेकर 12वीं कक्षा मे कुल 370 बंदीयों ने प्रवेश लिया है.
कहते हैं जहां चाह वहां राह। इस मुहावरे को चरितार्थ कर दिखाया है, बिलासपुर केंद्रीय जेल के बंदीयों ने,जेल एक ऐसी जगह माना जाता है जहां लोगों को सजा काटने के लिए भेजा जाता है. लेकिन, हकीकत में जेल एक प्रकार का सुधार गृह होता है. यहां अपराध करके आए लोगों को सुधरने का मौका दिया जाता है.बिलासपुर केंद्रीय जेल में भी इस प्रकार के कई प्रयास किए जा रहे हैं. कैदियों को साक्षर करने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. जेल में कुल 600 कैदियों को निरक्षर से साक्षर किया गया है.साथ ही इग्नू के तहत चलने वाले कोर्स में भी कुछ कैदियों ने एडमिशन लिया है. मंगलवार को राज्य ओपन की परीक्षा में 93 पुरुष व महिला बंदी शामिल हुए.
जेल में बंदियों को शिक्षित करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। विभिन्न पाठ्यक्रमों में सैकड़ों बंदियों ने प्रवेश लिया है, जो अब शिक्षित होकर अपने जीवन मे बदलाव महसूस क़र रहे हैं। दो बंदी जेल में रहकर अन्य बंदियों को पढ़ाते हैं। बंदियों को शिक्षित होने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि वे सजा भुगतने के बाद यहां से जाकर अपने भविष्य को संवार सकें।