ममता के भतीजे को HC से झटका, CBI और ईडी करेंगे भर्ती घोटाले में पूछताछ…..
(शशि कोन्हेर) : पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नौकरी के बदले रिश्वत मामले में सांसद अभिषेक बनर्जी से पूछताछ करने की अनुमति दे दी। न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने अभिषेक बनर्जी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अदालत के पहले के आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी। पहले के आदेश में अदालात ने स्कूल भर्ती मामले में ममता बनर्जी के भतीजे से पूछताछ करने के लिए सीबीआई और ईडी को अनुमति दी गई थी।
याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सिन्हा ने अदालत कक्ष में आदेश के ऑपरेटिव भाग को पढ़ा। पीठ ने टीएमसी के गिरफ्तार युवा नेता कुंतल घोष और अभिषेक बनर्जी की अर्जियों को खारिज कर दिया है। उच्च न्यायालय के अधिवक्ता फिरदौस शमीम ने संवाददाताओं से कहा कि अदालत ने उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दोनों एजेंसियां 2022 से ही पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के स्कूल भर्ती घोटाले की जांच कर रही हैं। कथित संलिप्तता के लिए दो विधायकों सहित कई टीएमसी नेताओं को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। कोयला तस्करी घोटाले में अभिषेक बनर्जी, उनकी पत्नी और उनकी भाभी से केंद्रीय जांच एजेंसियां पहले ही पूछताछ कर चुकी हैं।
इससे पहले 13 अप्रैल को न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ ने केंद्रीय एजेंसियों को टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव से पूछताछ करने की अनुमति दी थी, जिसके बाद अभिषेक बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय तृणमूल कांग्रेस की युवा शाखा के पूर्व नेता घोष की एक लिखित शिकायत पर सुनवाई कर रहे थे, जो घोटाले में एक मुख्य आरोपी है। जिसमें आरोप लगाया गया है कि दो संघीय एजेंसियों के अधिकारी अपने बयान में अभिषेक का नाम लेने के लिए उन पर दबाव बना रहे थे।
अभिषेक बनर्जी ने पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के एक टेलीविजन चैनल के साक्षात्कार पर आपत्ति जताई थी जिसमें उन्होंने बनर्जी के खिलाफ बात की थी। कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियां अब अभिषेक को किसी भी दिन पूछताछ के लिए बुलाने के लिए स्वतंत्र हैं।
सव्यसाची चटर्जी, उच्च न्यायालय के अधिवक्ता ने मीडियाकर्मियों को बताया, “केंद्रीय एजेंसियां अब अभिषेक बनर्जी को पूछताछ के लिए बुलाने के लिए स्वतंत्र हैं। जस्टिस गंगोपाध्याय की बेंच के आदेश पर SC ने अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी। बाद में, 28 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने मामले को कलकत्ता उच्च न्यायालय को वापस भेज दिया, लेकिन एकल पीठ के आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया। उस दिन से एजेंसियां टीएमसी नेता से पूछताछ करने के लिए स्वतंत्र थीं।”