बिलासपुर की जनता को कई सालों से हर दिन (अप्रैल) “फूल” बना रहे हैं कई नेता..!
बिलासपुर : आज लोगों को मित्रवत् (फ्रेंडली) बेवकूफ बनाने का दिन 1 अप्रेल है। हो सकता है हम जैसे, बिलासपुर में रहने वाले कई लोग, यह सोच रहे होंगे कि आज किसी ने भी हमें (अप्रैल) “फूल” नहीं बनाया। लेकिन विदेशों से भारत में आयातित इस पर्व की खासियत यह है की जो आदमी (अप्रैल) “फूल” बनता है। उसे इसका पता ही नहीं चल पाता कि वो (अप्रैल) “फूल” बन गया है। कमोबेश यही हाल हम सभी बिलासपुर के लोगों का है।
हमें भी इस शहर के नेता पता नहीं कितने सालों से केवल (अप्रैल) “फूल” ही बना रहे हैं। अगर बिलासपुर के इतिहास के पुराने पन्ने पलट कर देखें तो हम सब, कम से कम 30 या 35 वर्षो से (साल में एक बार नहीं) हर दिन नेताओं के हाथों “फूल”..! बनते जा रहे हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो आज छत्तीसगढ़ की राजधानी, रायपुर नहीं बिलासपुर होती। कॉलेज वाले रविशंकर विश्वविद्यालय के दिनों में रायपुर और बिलासपुर के बीच केवल 19 और 20 जैसा फासला था।
लेकिन आज देखिए.. हम लोग हर दिन नेताओं के हाथों “अप्रैल फूल” बनते रह गए। जिसके कारण आज रायपुर और हमारे बीच 100 और 10 का फासला हो गया है। अगर आप ध्यान दें तो रायपुर को राजधानी किसने बनाया.? छत्तीसगढ़ के पहले छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री और बिलासपुर के माटी पुत्र अजीत जोगी अगर नहीं चाहते तो क्या रायपुर राजधानी बन पाता..? लेकिन वह अपने आपको बिलासपुर का माटी पुत्र बताते रहे और उनकी आंखों के सामने ही बिलासपुर पिछ्डता और रायपुर चमकता चला गया।
आज रायपुर की सड़कें देख लीजिए। वहां की सड़कों के चकाचौंध की टक्कर में बिलासपुर की एक भी सड़क नहीं है। बिलासपुर जिले का एनटीपीसी भिलाई में ट्रिपल आईटी खोलने के लिए सीएसआर फंड से लंबी चौड़ी राशि दे देता है। सोचिए इस संयंत्र ने भी हमको कैसा अप्रैल फूल बनाया। 1980 के आसपास बिलासपुर में बन रही भूमिगत नाली योजना जमींदोज होकर रह गई। उसके बाद पृथक छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद बनी एक और कई सौ करोड़ की भूमिगत नाली योजना भी अपने कफन दफन का इंतजार कर रही है।
विमान सेवा शुरू करने के लिए संघर्ष करने वाली समिति और बिलासपुर हाई कोर्ट के सम्माननीय जजों के कारण बिलासपुर से विमान सेवा शुरू तो हो गई। लेकिन रायपुर की विमान सेवा के आगे बिलासपुर की विमान सेवा की हालत ऐसी है मानो किसी गोल्ड मेडलिस्ट एमएससी स्टूडेंट के सामने पांचवी का छात्र खड़े होने की जुर्रत कर रहा हो। यहां की अमृत मिशन योजना। यहां जमीनों की खरीद-फरोख्त। सरकारी और दूसरों की जमीनों पर अपने खुद के बाप पुरखों का नाम चढ़ाने का खेल।
तहसील ऑफिस और रेवेन्यू विभाग को अपने जेब में रखकर घूमने वालों को संरक्षण देते नेता….हम बिलासपुर के लोग इन सबके हाथों पता नहीं कितने सालों से अप्रैल फूल बनते चले आ रहे हैं। जैसे, कहा जाता है कि अपनी तो हर सुबह है होली… अपनी तो हर शाम दिवाली.. ठीक है ऐसे ही बिलासपुर की जनता को “अप्रैल फूल” बनाने के लिए यहां के नेता 1 अप्रैल का इंतजार नहीं करते। बल्कि उन्होंने बिलासपुर वालों को हर दिन अप्रैल फूल बना-बना कर साल के सभी 365 दिनों को, अपनी दमदारी से 1 अप्रैल ही घोषित कर दिया है।