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मास्टर स्ट्रोक-शशि कोन्हेर की कलम से : द्रौपदी मुर्मू…मोदी का मास्टर स्ट्रोक…भाजपा मस्त बाकी सब पस्त

(शशि कोन्हेर) : इसी सप्ताह हुए राष्ट्रपति चुनाव के दौरान देश का समूचा विपक्ष जिस तरह दिग्भ्रमित नजर आया वैसा पहले कभी भी नहीं देखा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी ने राष्ट्रपति पद के लिए आदिवासी महिला के रूप में द्रौपदी मुर्मू का चयन कर देश के समूचे विपक्ष को धर्म संकट में फंसा दिया। द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनने से कई पार्टियों के सामने उगलते बन रहा है और न निगलते जैसी स्थितियां पैदा हो गई थी।

यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ हमेशा मुखर रहने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी कहना पड़ा कि अगर प्रधानमंत्री ने उन्हें पहले यह बात बताई होती कि वे द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बना रहे हैं। तो हम भी उन्हें ही वोट कर सकते थे। महामहिम पद के लिए द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा होते ही उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जगमोहन रेड्डी ने पहली ही फुर्सत में कह दिया कि उनकी पार्टी द्रौपदी मुर्मू को ही वोट देंगे। और इन दोनों राज्यों का समर्थन मिलते ही भाजपा प्रत्याशी की जीत शत-प्रतिशत पक्की हो गई।

लेकिन द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाने से अगर इतना ही असर होता तब फिर उनका चयन मास्टर स्ट्रोक कैसे कहलाता। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जिन पार्टियों ने यशवंत सिन्हा का नाम आगे किया था वह अब उनके नाम पर मांगने से भी हिचक ने लगी। महाराष्ट्र में पहले ही बगावत जेल रही शिवसेना के सांसदों ने उद्धव ठाकरे को साफ कह दिया कि शिवसेना को हर हाल में राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को ही समर्थन देना होगा। सांसदों के इस रुख ने एक तरह से उद्धव ठाकरे को मजबूर कर दिया कि वे एनडीए प्रत्याशी को समर्थन की घोषणा करें।

झारखंड में कई तरह की परेशानियां झेल रहे मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन पर भी कुछ ऐसा दबाव पड़ा कि उन्हें संयुक्त विपक्ष से अलग द्रौपदी मुर्मू को समर्थन की घोषणा करनी पड़ी। महाराष्ट्र में अपने सांसदों और विधायकों ने क्रास वोटिंग कर द्रौपदी मुरमू को वोट देने से कांग्रेस में हाय तौबा मची हुई है। इतना ही नहीं वरन विधायकों की संख्या के मुकाबले में बेहद मजबूत छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के 2 विधायकों ने एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में क्रास वोटिंग कर प्रदेश के कांग्रेस संगठन को झकझोर दिया है।

इसके पहले राष्ट्रपति चुनाव में इतना बड़ा उलटफेर केवल एक बार देखा गया। जब कांग्रेस की ओर से नीलम संजीवा रेड्डी को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया गया था। तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी ओर से वी वी गिरी को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाकर कांग्रेसियों से आत्मा की आवाज पर वोट देने की अपील की। इसका परिणाम यह हुआ कि वीवी गिरी चुनाव जीत गए और कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी नीलम संजीव रेड्डी चुनाव हार गए।
ठीक इसी तरह इस बार भी राष्ट्रपति पद के चुनाव में अंतरात्मा की आवाज का दांव कई विपक्षी दलों को घायल कर गया।

जहां तक चुनावी हार-जीत की बात है.. संख्या बल का गणित साथ होने के कारण यह लगभग तय था राष्ट्रपति पद के चुनाव में एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू ही चुनाव जीतेंगी। लेकिन उनका चयन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की राजनीति में जो मास्टर स्ट्रोक लगाया है उसकी गूंज लंबे समय तक अपना असर दिखाती रहेगी।

इस मास्टर स्ट्रोक का यह असर है कि राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा को संयुक्त विपक्ष का कैंडिडेट बनाने वाली ममता बनर्जी ने उपराष्ट्रपति चुनाव में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार द्वारा घोषित विपक्ष की संयुक्त प्रत्याशी श्रीमती मार्गरेट अल्वा को वोट देने की बजाय, मतदान से दूर ही रहने का निर्णय ले लिया है। इस तरह इस चुनाव में भाजपा ने प्रत्याशी चयन के मास्टर स्ट्रोक से न केवल राष्ट्रपति चुनाव में बाजी मार ली है… वरन विपक्षी एका को ऐसा जोरदार झटका दिया है…. जिससे संभलने में अब काफी समय लग सकता है।

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