बिलासपुर

सफाई कर्मचारियों के साथ बासी खा कर महापौर यादव ने मनाया अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस, मेयर ने कहा- बोरे-बांसी खाना हमारी पुरानी परंपरा आज हमारे मुखिया इसे जन-जन तक पहुँचा रहें

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – महापौर रामशरण यादव ने मजूदर दिवस के अवसर पर आज नगर निगम के स्वीपर, सफाई कर्मचारी, सुपरवाईजर सहित श्रमविरों के साथ बासी खा कर अंतरराष्ट्रीय मजूदर दिवस मनाया। उन्होने इसके लिए सभी श्रमविरों को अपने आईसी कार्यालय स्थित शासकीय आवास पर निमंत्रण दिया था। उनके साथ कांग्रेस शहर अध्यक्ष विजय पांडेय, जिला पंचायत अध्यक्ष अरूण चौहान, केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष प्रमोद नायक, एमआईसी सदस्य अजय यादव, राजेश शुक्ला सभी नगर निगम के सभी पार्षद और एमआईसी सदस्य भी श्रमविरों के साथ बोरे बासी का सेवन किए। श्रम दिवस के साथ ही आज महापौर रामशरण यादव का जन्मदिन भी थी जिसपर नगर निगम के सफाई कामगार सहित सभी श्रमविरों ने उन्हें गुलदस्ता भेंट कर जन्मदिन की बधाई दी। महापौर रामशरण यादव ने कहा कि छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्बारा जो हमारे मूल संरचना के बोरे और बासी जो हम छत्तीसगढ़ के लोग खाते थे उनके नेतृत्व में पूरे छत्तीसगढ़ में सभी लोग अपने अपने घरों में खा रहें रहें है। आज बिलासपुर नगर निगम के जो सफाई कर्मी और कामगार है उनके साथ पार्षद सहित सभी जनप्रतिनिधियों ने बोरे और बासी खाई। बासी के खाने से बहुत से विटामिन मिलते है। खासकर गर्मी के दिनों में बासी, नमक, प्याज खाने से शरीर भी ठंड़ा रहता है। इसी को खा कर हमारे किसान खेतों में काम करते है। शरीर स्वस्थ्य रहता है। लेकिन आज के युवा पीढ़ी हमारे इस परंपरिक भोजन को भुलते जा रही थी। हमारे मुखिया भूपेश बघेल ने हमारी संस्कृति, धरोहर को बचाने के लिए बोरे बासी खाने की शुरूवात की उनके नेतृत्व में हम सभी ने बोरे बासी खा कर आज मजूदर दिवस मनाया।


बासी खाने के है अनेक फायदे: महापौर
महापौर रामशरण यादव ने बताया कि ताजा भात को जब पानी में डुबाकर खाया जाता है तो उसे बोरे कहते हैं। इसे दूसरे दिन खाने पर यह बासी कहलाता है। छत्तीसगढ़ में ये परंपरा पुरानी है। उन्हाने इसे किसके साथ खाना चाहिए ये बताते हुए कहा कि आम या नींबू का अचार, प्याज और हरी मिर्च, दही या मही डालकर, खट्टी भाजी, कांदा भाजी, चेंच भाजी, बोहार भाजी, रखिया बड़ी, मसूर दाल की सब्जी या मसूर बड़ी, रात की बची हुई अरहर दाल के संग, कढ़ी, आम की चटनी, लाखड़ी भाजी, सलगा बरा की कढ़ी, जिर्रा फूल चटनी, बिजौरी। बासी खाने से होंठ नहीं फटते, पाचन तंत्र को सुधारता है। इसमें पानी भरपूर होता है, जिससे गर्मी के मौसम में ठंडक मिलती है। पानी मूत्र विसर्जन क्रिया को बढ़ाता है जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। पथरी और मूत्र संस्थान की दूसरी बीमारियों से बचाता है। चेहरे के साथ पूरी त्वचा में चमक पैदा करता है। पानी और मांड के कारण ऐसा होता है।

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