आधी रात शिवसेना के बागी विधायकों को ले जाया गया सूरत से असम
(शशि कोन्हेर) : गुजरात के सूरत में डेरा डाले शिवसेना के बागी विधायकों को असम ले जाया जा रहा है। उनके बुधवार सुबह वहां पहुंच जाने की संभावना है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। असम में भाजपा की सरकार है और प्रदेश भाजपा का शीर्ष नेतृत्व व राज्य सरकार गुवाहाटी में बागी शिवसेना विधायकों के ठहरने की व्यवस्था कर रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि बागी विधायकों को वहां रैडिसन होटल में ठहराया जा सकता है। संभवत: यह पहली बार है जब पार्टी नेतृत्व से बगावत करने के बाद किसी पश्चिमी राज्य के विधायकों को एक पूर्वोत्तर राज्य में ले जाया जा रहा है।
इसी बीच मंगलवार देर रात शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे, पार्टी के 34 विधायकों और 7 निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहाटी, असम के लिए रवाना होने के लिए सूरत अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। वे सभी सूरत के ली मेरिडियन होटल में ठहरे थे।
गुजरात के सूरत हवाई अड्डे पर शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने कहा कि हमने बालासाहब ठाकरे की शिवसेना को नहीं छोड़ा है और नहीं छोड़ेंगे। हम बालासाहब के हिंदुत्व का अनुसरण कर रहे हैं और इसे आगे भी ले जाएंगे।
अपने बाकी विधायकों को शिवसेना ने होटलों में ठहराया
अपने और विधायकों को टूटने से बचाने के लिए शिवसेना ने उन्हें मुंबई के विभिन्न होटलों में ठहराया है। एक विधायक ने यह जानकारी दी, लेकिन उन्होंने उन होटलों के नाम नहीं बताए जिनमें विधायकों को ठहराया गया है।
बागी विधायक को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा
शिवसेना के बागी विधायकों में से एक नितिन देशमुख को तबीयत बिगड़ने के बाद सोमवार रात ही सूरत के अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। मंगलवार रात एकनाथ शिंदे उनसे मिलने अस्पताल पहुंचे जिसके बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
यह पता नहीं चल सका कि नितिन को अस्पताल में भर्ती क्यों होना पड़ा था। मुंबई में शिवसेना नेता संजय राउत ने आरोप लगाया था कि नितिन का अपहरण किया गया है और उनके साथ मारपीट की गई।
देवेंद्र फड़नवीस की बात सच होने के करीब
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में एक के बाद एक मिली हार और शिवसेना में विरोध के उठे बवंडर से उद्धव सरकार पर मंडराते खतरे के बीच भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस सुर्खियों में आ गए हैं।
उद्धव सरकार के गठन से ठीक पहले अजित पवार के समर्थन से सीएम पद की शपथ लेने और फिर समर्थन के अभाव में दो दिन में ही पद छोड़ने के लिए मजबूर हुए फड़नवीस पिछले दो हफ्ते में महाराष्ट्र की सियासत में बाजीगर बनकर उभरे हैं।
फड़नवीस जब 2019 के विधानसभा चुनाव में समर्थन मांगने लोगों के बीच पहुंचे थे तब उनका नारा था, ‘मैं वापस आउंगा।’ अभी जो महाराष्ट्र में हालात बन रहे हैं उससे लगने लगा है कि वह नारा सच होने के करीब है।