गाजीपुर के कालीबाग कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक होगा मुख्तार अंसारी..
माफिया मुख्तार अंसारी की मौत हृदय गति रुकने से ही हुई, इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के पैनल ने की है। गुरुवार रात बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में मुख्तार अंसारी की मौत के बाद शुक्रवार को दोपहर एक बजे तीन मजिस्ट्रेट, पांच सदस्यीय डॉक्टरों के पैनल ने सीएमओ समेत आला अफसरों की निगरानी में पोस्टमार्टम शुरू किया।
पोस्टमार्टम हाउस के बाहर माफिया के गुर्गे जरूर दिखे पर अपनों में बेटा-बहू ही आए। पोस्टमार्टम के दौरान बेटा उमर अंसारी बोला कि यकीन है कि ये स्वाभाविक मौत नहीं हत्या है।
उमर अंसारी ने कहा कि अधिवक्ताओं से सलाह लेकर न्याय मांगेंगे। मुख्तार का शव शाम को कड़ी सुरक्षा में सौ वाहनों के काफिले के साथ चित्रकूट व प्रयागराज के रास्ते गाजीपुर रवाना किया गया।
मुख्तार का शव शनिवार सुबह उसके पैतृक कस्बा मुहम्मदाबाद के कालीबाग कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मुख्तार की कब्र उसके पिता सुभानउल्ला अंसारी व मां बेगम राबिया खातून की कब्र के समीप खोदी गई है। कस्बे में चप्पे-चप्पे पर पुलिस के साथ ही अर्धसैनिक बल के जवानों की तैनाती की गई है।
बांदा जेल में सात अप्रैल, 2021 से बंद माफिया मुख्तार अंसारी की तबीयत गुरुवार रात बिगड़ी थी। 8:25 बजे रानी दुर्गावती मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया, जहां मृत्यु हो गई। कड़ी सुरक्षा में उसका शव देर रात 12:24 बजे पोस्टमार्टम हाउस लाया गया। प्रशासन ने शुक्रवार आठ बजे से पोस्टमार्टम कराना तय किया, लेकिन डॉक्टरों के पांच सदस्यीय पैनल में एसजीपीजीआई लखनऊ के एक चिकित्सक के पहुंचने में विलंब हो गया।
सीएमओ एके श्रीवास्तव निगरानी में जिला अस्पताल बांदा के डॉ. एसडी त्रिपाठी, डॉ. महेश गुप्ता, डा. विकासदीप बिलाटिया और मेडिकल कालेज के डॉ. मुकेश बंसल ने पोस्टमार्टम किया। 3:52 बजे पोस्टमार्टम से बाहर निकले डॉक्टरों ने हृदयगति रुकने से मृत्यु की पुष्टि की। इसके साथ ही असल वजह जानने के लिए हृदय व शरीर के अहम अंगों का बिसरा सुरक्षित कर लिया। 4:40 बजे मुख्तार का शव बेटे उमर को सौंपा गया। बेटे का आरोप, सुनियोजित हत्या
मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी की ओर से जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को दिए गए पत्र में कहा गया है कि उन्होंने पहले ही कोर्ट को बताया था कि पिता को जेल में जहर दिया जा रहा है। दिल्ली एम्स के डॉक्टरों से पोस्टमार्टम कराएं। उसने आरोप लगाया कि दबाव के चलते इलाज सही नहीं हुआ। पत्र में ये भी बताया कि 21 मार्च को ही बाराबंकी और मऊ एमपी-एमएलए कोर्ट में पेशी के दौरान अधिवक्ता ने जहर दिए जाने की जानकारी दी थी। 40 दिन पहले भी उन्हें जहर दिया गया था। 26 मार्च को हालत बिगड़ने पर अस्पताल पहुंचा पर पिता से मिलने नहीं दिया गया। अधिकारी इस संबंध में चुप्पी साधे रहे।
इस मामले में बांदा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भगवान दास गुप्ता ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। जिला कारागार बांदा के वरिष्ठ अधीक्षक ने मौत के मामले की न्यायिक जांच की मांग की थी।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमपी एमएलए कोर्ट गरिमा सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त कर एक माह में रिपोर्ट मांगी है। जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार को मजिस्ट्रियल जांच सौंप कर 15 दिन में जांच रिपोर्ट देने को कहा है।