नारायण चंदेल…भाजपा के नेता प्रतिपक्ष पद से खुद इस्तीफा देंगे या पार्टी उन्हें हटाएगी..अथवा…?
बिलासपुर : भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री नारायण चंदेल की विदाई को लेकर भाजपा के भीतर और बाहर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। उनके पुत्र के खिलाफ दुष्कर्म मामले में एफ आई आर दर्ज होने के बाद उनकी नेता प्रतिपक्ष के पद से रवानगी को लेकर अनुमान और कयास लगाए जा रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो नेता प्रतिपक्ष पद पर,अपनी भूमिका शुरू करने के बाद पहली ही खेप में पद से रुखसत हुए या किए गए वे पहले नेता होंगे। इसमें कोई दो मत नहीं है कि श्री नारायण चंदेल सुलझे हुए, भाजपा के प्रति निष्ठावान और “आर एस एस केडर” के नेता माने जाते रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष के रूप में अभी वे अपनी तलवार को धार दे ही रहे थे कि उनके साथ यह दुर्भाग्यजनक संयोग बनता दिखाई दे रहा है। पार्टी में उनके पुत्र के खिलाफ दर्ज हुए FIR के बाद से पूरी तरह ख़ामोशी छाई हुई है। कोई भी भाजपा नेता इसे लेकर एक शब्द भी नहीं बोल रहा है। खुद भाजपा के अंदर भी जमीनी स्तर पर इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो चुकी है। पार्टी का एक बड़ा खेमा यह मान रहा है कि अब नेता प्रतिपक्ष के पद से श्री चंदेल की विदाई पूरी तरह तय है।
उनकी विदायी को लेकर इस विषय पर लोगों की राय बंटी हुई है कि श्री चंदेल अपने पद से स्वयं इस्तीफा दे देंगे या पार्टी उन्हें हटने को कहेगी। लोगों ने अभी से अनुमान लगाना भी शुरू कर दिया है कि जब श्री चंदेल नेता प्रतिपक्ष नहीं रहेंगे तब कौन..? वहीं उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी मैं हुई भयंकर घटना के मामले में भाजपा हाईकमान के रुख को देखते हुए यह भी संभव है कि श्री नारायण चंदेल यथावत बने भी रह सकते हैं। इस मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा पर लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में प्रदर्शनकारी किसानों को थार जीप से रौंदने का गंभीर आरोप लगा था। इस भयंकर कांड में 4 किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी।
इस हादसे के देशभर में वायरल हुए वीडियो में प्रदर्शन कर रहे किसानों को भीड़ को एक थार जीप कुचलते हुए दिखाई दे रही थी। आरोप है कि इस जीप को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा चला रहे थे। इस घटना के बाद लखीमपुर खीरी जिले में कई दिनों तक जंगी प्रदर्शन होते रहे। उस समय चल रहे देशव्यापी किसान आंदोलन के नेताओं ने भी इस कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के पिता अजय मिश्रा को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। वहीं इस घटना के कुछ ही महीने बाद उत्तर प्रदेश के चुनाव होने थे।
इन चुनाव के चलते भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा हाईकमान काफी दबाव में थी। आशंका थी कि इन चुनावों पर भी इस घटना का असर पड़ सकता है। इसलिए ऐसा लग रहा था कि बेटे आशीष मिश्रा पर लगे आरोप के कारण उसके पिता अजय मिश्रा टोनी को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर किया जा सकता है। लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा नहीं किया। और श्री अजय मिश्रा उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान और अभी भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने हुए हैं। वहीं आश्चर्यजनक रूप से इसके बावजूद इस घटना के बाद हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ना केवल भारी बहुमत से विजयी हुई वरन किसानों पर गाड़ी चढ़ाने की घटना के कारण लाइमलाइट में आई लखीमपुर खीरी जिले की सभी आठ की आठ सीटो पर भी भाजपा के प्रत्याशी विजयी रहे। इस घटना के उल्लेख का मतलब यह बताना था कि भाजपा का मौजूदा आलाकमान किसी भी प्रकार के दबाव में आकर फैसले लेने से परहेज करता है।
इस लिहाज से हो सकता है कि छतीसगढ़ में भी पार्टी हाईकमान आश्चर्यजनक रूप से श्री नारायण चंदेल को पद पर यथावत बनाए रखने का जोखिम भरा निर्णय ले सकता है। वरना सामान्य तौर पर हालात ऐसे हैं कि लोगों को अब श्री नारायण चंदेल का नेता प्रतिपक्ष पद पर बने रहना मुश्किल सा लग रहा है। लोगों और खासकर भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं का यह कहना हैं…हम तो बस यह देख रहे हैं कि श्री नारायण चंदेल नेता प्रतिपक्ष पद से स्वयं इस्तीफा देते हैं या पार्टी उन्हें पद से अलग होने का इशारा करती है…
अथवा उन्हें पद पर बनाए रखने का निर्णय लेती है। हाल ही में हुए दंतेवाड़ा उपचुनाव में दुष्कर्म के आरोपी ब्रह्मानंद नेताम को पार्टी प्रत्याशी बनाने का हश्र भाजपा देख भी चुकी है। ऐसे में श्री चंदेल के लिए अब उम्मीद की रौशनी कम ही दिखाई दे रही है। लोगों का सवाल है कि पार्टी, पुत्र पर लगे दुष्कर्म के आरोप के बाद भी श्री नारायण चंदेल को भले ही स्वीकार कर ले लेकिन छत्तीसगढ़ की जनता इसे बर्दाश्त करेगी अथवा नहीं.. इसी सवाल के जवाब पर श्री चंदेल का पद पर बने रहना अथवा नहीं रहना निर्भर करता है।