(भूपेंद्र सिंह राठौर के साथ जय साहू) : कलेक्टर अवनीश शरण के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, जिले के स्कूलों में मध्याह्न भोजन में घोर लापरवाही बरती जा रही है। तय मीनू के अनुसार बच्चों को पोषणयुक्त भोजन मिलना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।
मध्याह्न भोजन योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक आहार देना है। मीनू के मुताबिक बुधवार को चावल, दाल फ्राई, आलू मटर या आलू चना की सब्जी के साथ अचार और पापड़ परोसा जाना चाहिए। लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है।
हमारी टीम ने देखा कि इन स्कूलों में बच्चों को सिर्फ चावल, साधारण दाल, और आलू की सब्जी दी जा रही है । इसमें आलू और सोयाबीन बढ़ी शामिल किया जा रहा है।
कई साल पहले, जब प्रधानपाठकों के पास मध्याह्न भोजन की जिम्मेदारी थी, तब भोजन मीनू के अनुरूप मिलता था। लेकिन अब महिला स्वसहायता समूह इसे संचालित कर रहा हैं। इन पर किसी प्रकार का विभागीय दबाव नहीं होने के कारण, बच्चों की थाली में केवल सादा भोजन रह गया है।
हमने जब ग्राम जलसों और पौन्सरा के स्कूल के संकुल समन्वयक से बात की, तो उन्होंने इसे स्वसहायता समूहों की जिम्मेदारी बताया। उनका कहना था कि वे इस पर नियंत्रण नहीं कर सकते। स्थिति यह है कि विभागीय मीनू केवल कागजों में सिमटकर रह गया है।
बच्चों को पोषणयुक्त भोजन देने का उद्देश्य अगर पूरा नहीं हो रहा है, तो यह बेहद गंभीर मुद्दा है। विभाग और प्रशासन को इस पर कड़ी निगरानी रखना होगा।