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गांधी परिवार से मिलने का प्लान नहीं,’ रिहाई के बाद बोलीं राजीव हत्याकांड की दोषी नलिनी श्रीहरन

(शशि कोन्हेर) : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी श्रीहरन और अन्य दोषियों को करीब 30 साल तक जेल में सजा काटने के बाद शनिवार शाम तमिलनाडु की जेलों से आखिरकार रिहा कर दिया गया. वी श्रीहरन उर्फ ​​मुरुगन की पत्नी नलिनी (55 साल) ने शनिवार को वेल्लोर की महिला जेल पहुंचकर रिहाई की कागजी कार्रवाई पूरी की. उसके बाद पत्रकारों से बातचीत में बड़ा दावा किया. नलिनी ने कहा- वह निर्दोष हैं. उन्होंने कहा कि मेरे पति जहां भी जाएंगे, मैं वहीं जाऊंगी. हम 32 साल से अलग थे. हमारा परिवार हमारा इंतजार करता रहा. उन्होंने कहा- मेरी बेटी खुश है और यूके में अच्छी तरह से सेटल है. उसके पास ग्रीन कार्ड है. मैं और मेरे पति वहां चले जाएंगे.

उन्होंने आगे कहा- मेरी गांधी परिवार में किसी से मिलने की योजना नहीं है. मैं राज्य और केंद्र सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूं. नलिनी ने पहली प्रतिक्रिया में कहा- ‘क्या आपको लगता है कि मैंने पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या की है? मेरे खिलाफ हत्या के 17 केस दर्ज किए गए हैं.’ उन्होंने कहा कि 32 साल बाद भी मैं खुश नहीं हूं.  मेरे पति जब 20 साल के थे, तब उन्हें जेल भेज दिया गया था और अब मैंने जेल से बाहर कदम रखा है. उन्होंने आगे कहा- मैं मैडम जयललिता की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने सबसे पहले पहल की थी और मैं EPS की भी शुक्रगुजार हूं.

नलिनी ने आगे कहा- डीएमके और सीएम स्टालिन की भी शुक्रगुजार हूं. उन्होंने पैरोल में हमारी मदद की और इसलिए हम इस मामले को आगे बढ़ा सके. नलिनी से जब सोनिया गांधी से मुलाकात करने का सवाल किया गया तो उन्होंने कहा- ओह गॉड, प्लीज नो… उन्होंने सवाल को टाल दिया. वहीं, रिहाई का विरोध होने पर कहा- अलग-अलग लोगों का अलग-अलग स्टैंड है. मैं यह नहीं कह सकती कि वे जो कहते हैं, वह गलत है.

‘मैं बिल्कुल खुश नहीं हूं’

नलिनी का कहना था कि मैं अब भावनात्मक रूप से मजबूत नहीं हूं. मैं किसी भी चीज पर टिप्पणी करना नहीं चाहती हूं. मैं बिल्कुल खुश नहीं हूं. मेरे पति को विशेष शिविर में ले जाया गया है. मुझे सोचना है कि अपने पति से दोबारा मिलने के लिए क्या करना चाहिए. मैं वास्तव में निराश हूं. मैंने 32 साल गंवा दिए हैं. मेरे जीवन में अब और क्या है? मुझे अपने अधिवक्ताओं, अपने तमिल लोगों और मीडिया को धन्यवाद देना चाहिए. आप सब के बिना कुछ भी संभव नहीं होता. मैंने अपने किसी वकील को कभी पैसे नहीं देने पड़े. पिछले 20 वर्षों में उन्होंने मेरी मदद की है.

‘गांधी परिवार को धन्यवाद देती हूं’

मैं गांधी परिवार को धन्यवाद देती हूं. मैं पुलिस और अन्य लोगों को भी सम्मान देना चाहती हूं जिन्होंने अपनी जान गंवाई. मुझे उनके जीवन के बारे में भी जानना है. मेरी बेटी बहुत खुश है कि उसे उसके माता-पिता वापस मिल गए हैं. वह बेहद खुश है. उसने मुझे यहां के बाद खुशी-खुशी अपना जीवन जीने के लिए कहा है. उसने मुझे अपना शेष जीवन बेहतर तरीके से जीने के लिए कहा है. मेरे पति जहां भी होंगे, मैं उनके साथ जाऊंगी. वह ज्यादातर अपनी बेटी के पास जाते थे तो मैं भी जाऊंगी. सबकी अपनी-अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. हर कोई मुझे पसंद नहीं करेगा, मैं दूसरों की टिप्पणियों को भी स्वीकार करूंगी. मेरी किस्मत यही है कि मुझे हमेशा के लिए एक अपराधी की तरह जीना है. मुझे इसे स्वीकार करना होगा. मुझे सरकार से कुछ नहीं चाहिए.

‘जेल में बहुत परेशानी थी- मेरा परिवार बिखर गया’

उन्होंने कहा- मुझे नहीं लगता कि मैं गांधी परिवार में किसी से मिलूंगी. जब मैं जेल में थी तो मैं बहुत परेशान थी कि मेरा परिवार बिखर गया. इग्नू के एक आईजी ने मुझे पढ़ने के लिए कहा. हालांकि मैंने मना कर दिया लेकिन उन्होंने मुझे पढ़ाई के लिए मजबूर किया. मैंने सिर्फ उन्हें धन्यवाद दिया. जेल नरक है. ये एक खाई है. ये एक कब्रिस्तान है. ऐसा ही हमारे लिए थी. जब हम अंदर थे तो मुझे कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन मैंने अपने प्रयास किए. मेरे पास वकीलों को भुगतान करने के लिए पैसे नहीं थे. मेरे परिवार को भागना पड़ा. मुझे सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. हम ऐसे कपड़े पहनते थे जिन्हें फेंक दिया जाता था. एक साड़ी थी, जिसे हम सब पहनते थे. इतने सारे सबक मैंने सीखे हैं.

‘हमने उम्मीद खो दी थी’

उन्होंने कहा- मुझे विश्वास है कि मैं निर्दोष हूं. नहीं तो इतने सालों में मैं इन रातों में कैसे सोती. एकमात्र उम्मीद हमारे प्रयास थे. हालांकि हमने उम्मीद खो दी थी, राधाकृष्णन सर ने इसे कभी जाने नहीं दिया. उन्होंने हमेशा उम्मीद रखी. मैंने कभी किसी को भुगतान नहीं किया, लेकिन उन्होंने मुझे मेरी जिंदगी वापस दे दी है. मुझे क्यों डरना चाहिए? मुझे कोई डर नहीं है. मैं आगे बढ़ूंगी. मुझे पता है कि मेरे तमिल लोग मुझे स्वीकार करेंगे. लोगों की अलग राय हो सकती है. मैं इसे स्वीकार करूंगी.

‘मेरी पैरोल बहुत मददगार साबित हुई’

मुझे पैरोल मिली जिससे मुझे काफी मदद मिली. मेरा मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था, लेकिन रविचंद्रन ने इसकी पहल की. लेकिन बाद में हम सबने मिलकर कोशिश की. मेरी पैरोल बहुत मददगार थी. मैं तमिलनाडु सरकार को धन्यवाद देती हूं. मैंने जेल में कभी किसी से संबंध नहीं बनाए. कई योग और ध्यान कक्षाएं थीं. मैंने उस सब में भाग लिया. जिसने मुझे मैं बनने में मदद की. मैं एक बहुत ही आध्यात्मिक व्यक्ति हूं. इसलिए इसने मुझे आगे बढ़ने में मदद की. मेरे विश्वास ने मुझे आगे बढ़ने में मदद की. मुरुगन ने मुझे कोई पैसा नहीं दिया. उन्होंने सभी को कुछ जानकारी दी.

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