अब हवादार कमरों और आपात चिकित्सा से लैस होंगे वृद्धाश्रम.. बुजुर्गों के बिस्तर के पास ही…
(शशि कोन्हेर) : केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय इन दिनों वृद्धाश्रमों के लिए एक न्यूनतम स्टैंडर्ड तैयार करने में जुटा है। जिसका मसौदा तैयार हो गया है और सभी पक्षों से राय ली जा रही है।
माना जा रहा है कि इसके लागू होते ही सभी वृद्धाश्रमों को इसे अपनाना होगा। इसके आधार पर वृद्धाश्रमों की एक रेटिंग भी तैयार होगी। जो उन्हें दी जाने वाली वित्तीय सहायता का आधार बनेगा।
सभी वृद्धाश्रमों में होटल जैसी सुविधाएं
खासबात यह है कि न्यूनतम स्टैंडर्ड के लिए तैयार किए गए इस मसौदे में सभी सुविधाओं के प्वाइंट भी तय किए गए है। फिलहाल इस नए स्टैंडर्ड प्लान के तहत सभी वृद्धाश्रमों में होटल जैसी सुविधाएं जुटाने का है। सभी बुजुर्गों के बिस्तर के पास एक आपात घंटी भी लगेगी।जो किसी भी संकट में घंटी बजाकर मदद मांग सकेंगे।
राज्यों से मांगे गए प्रस्ताव
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मौजूदा समय में वृद्धाश्रमों को वित्तीय मदद सिर्फ उसकी क्षमता या फिर उनमें रहने वाले बुजुर्गों की संख्या के आधार पर दी जाती है। इनमें सुविधाओं का कोई आकलन नहीं किया जाता है। यानी कोई वृद्धाश्रम अप्रशिक्षित स्टाफ रखे या फिर प्रशिक्षित सभी को एक बराबर ही मदद दी जाती है।वृद्धाश्रमों को इसके प्रमाण भी देने होंगे। गौरतलब है कि सरकार ने 2024 तक सभी जिलों में कम से कम एक वृद्धाश्रम खोलने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए राज्यों से प्रस्ताव भी मांगे गए है।
490 जिलों में अभी नहीं है एक भी वृद्धाश्रम
मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के मौजूदा करीब 740 जिलों में से करीब 490 ऐसे जिले है, जहां अभी एक भी वृद्धाश्रम नहीं है। वहीं जिन राज्यों में सबसे ज्यादा वृद्धाश्रम है, उनमें महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश शामिल हैं।
मौजूदा समय में देश के करीब 250 जिलों में ही करीब 400 वृद्धाश्रम संचालित है। सरकार इसे जल्द से जल्द दुरुस्त करना चाहती है क्योंकि देश में बुजुर्गो की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मौजूदा समय में देश में बुजुर्गों की कुल संख्या करीब 14 करोड़ है। हालांकि वर्ष 2050 तक इनकी संख्या करीब 30 करोड़ होने का अनुमान है।