अब बनती राजकपूर की श्री 420 तो नाम होता श्री 316, धोखाधड़ी की बदलेगी धारा…..
(शशि कोन्हेर) : 160 साल से अधिक पुराने भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लेने वाले ‘भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023’ में कई ऐसे बदलाव शामिल होंगे जो लंबे समय से आम बोलचाल की भाषा में इस्तेमाल होते रहे हैं।
भारतीय न्याय संहिता की धाराएं आईपीसी की धाराओं से अलग होंगी। दरअसल आईपीसी की कई धाराएं लंबे समय से फिल्मों में संवाद, लोकप्रिय संस्कृति के पहलुओं और आम लोगों की भाषा का हिस्सा रही हैं। इन्हीं में से एक है धारा 420
पीढ़ियों से, ‘420’ का मतलब धोखा देना था। लोग 420 को अक्सर ताना मारने के लिए इस्तेमाल करते आ रहे हैं। यहां तक कि भारतीय दंड संहिता की इसी धारा से प्रेरित होकर दिग्गज अभिनेता राज कपूर की फिल्म ‘श्री 420’ बनी थी। लेकिन अब इसका मतलब बदल जाएगा।
अब 420 की जगह धोखाधड़ी की धारा 316 होगी। यानी अगर अब राज कपूर की फिल्म ‘श्री 420’ बनती तो उसका नाम ‘श्री 316’ होता। धोखाधड़ी के लिए “420” के अलावा, कई अन्य धाराओं में भी बदलाव होगा।
बदल जाएगा 302 का मतलब
हत्या के अपराध के लिए इस्तेमाल होने वाली धारा 302 भी बदल जाएगी। प्रस्तावित नए कानून में हत्या के लिए धारा 101 होगी। इसी तरह, अवैध जमावड़े से संबंधित आईपीसी की धारा 144 को अब धारा 187 के तहत लाने का प्रस्ताव है। पुलिस प्रशासन अक्सर माहौल खराब करने के उद्देश्य से जमा होने वाली भीड़ को रोकने के लिए धारा 144 लागू करती है।
लेकिन इसका मतलब भी बदल जाएगा। नियम जारी करते समय सरकार सुविधा के लिए आईपीसी की संबंधित धाराओं का संदर्भ देगी। दरअसल पिछले कुछ वर्षों में, नई धाराओं और उप-धाराओं के जुड़ने से दंड संहिता काफी कठिन हो गई है। इसलिए नए कानून के लिए इसे अधिक समसामयिक और स्पष्ट बनाने का एक प्रयास है।
ये हैं प्रस्तावित तीन कानून
गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पेश किये। ये क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लेंगे। इनके मुताबिक, भारतीय न्याय संहिता में आईपीसी की 511 धाराओं के बजाय 356 धाराएं होंगी। जिनमें से 175 धाराओं में संशोधन किया जाएगा। सरकार ने कहा कि आठ नए खंड जोड़े गए हैं और 22 को निरस्त कर दिया गया है।
वर्तमान में ‘हत्या का प्रयास’ आईपीसी की धारा 307 के तहत आता है। लेकिन प्रस्तावित कानून में हत्या का प्रयास धारा 107 के अंतर्गत आएगा। इसी तरह आईपीसी धारा 375 और 376 (बलात्कार) भी बदल जाएगी। प्रस्तावित न्याय संहिता में धारा 376 नहीं है। प्रस्तावित संहिता की धारा 63 के तहत बलात्कार के अपराध को परिभाषित किया गया है। प्रस्तावित संहिता में जबरन यौन संबंध की सात शर्तों को बरकरार रखा गया है, जो आईपीसी के तहत बलात्कार का अपराध है। वैवाहिक बलात्कार के अपवाद को भी बरकरार रखा गया है।