अब पूजा पाठ के लिए कर सकते हैं…एएसआई संरक्षित सभी मंदिर
(शशि कोन्हेर) : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में आने वाले बंद मंदिरों में धार्मिक गतिविधियां शुरू करने की मंजूरी मिल सकती है। ऐसे मंदिरों में पूजा-पाठ की अनुमति देने के लिए 1958 के कानून में संशोधन किया जा सकता है। सरकार शीतकालीन सत्र में इससे संबंधित संशोधन विधेयक पेश कर सकती है। इसके पीछे सोच यह है कि इससे इन मंदिरों का रख-रखाव आसान होगा।
उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस समय देश में एएसआइ के संरक्षण में लगभग 3,800 धरोहर हैं। इनमें एक हजार से अधिक मंदिर हैं। इनमें से केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर और उत्तराखंड के जागेश्वर धाम जैसे बहुत कम मंदिर हैं, जहां पूजा-अर्चना होती है। अधिकतर मंदिर बंद पड़े हुए हैं और उनमें किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि प्रतिबंधित हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर स्थित मार्तड मंदिर जैसे बहुत सारे ऐसे मंदिर भी हैं, जिनके खंडहर के रूप में अवशेष ही बचे हैं। पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के मार्तड मंदिर में पूजा करने पर एएसआइ ने स्थानीय प्रशासन को पत्र लिखकर कड़ा एतराज जताया था।
मंदिर संरक्षित कानून का मकसद पूरा नहीं हो रहा
दरअसल, प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 में संरक्षित मंदिरों में धार्मिक गतिविधियों की अनुमति नहीं है। संस्कृति मंत्रालय, जिसके तहत एएसआइ आता है, के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मंदिर को संरक्षित करने के जिस उद्देश्य से यह कानून लाया गया था, वह पूरा नहीं हो रहा है। उल्टे लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित होने के कारण मंदिरों की स्थिति खराब हो रही है।