अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आइये जानते है…बिलासपुर की बेटी रंजीता दास के बारे में, जिन्होंने नौकरी छोड़ समाजसेवा को चुना…..
बिलासपुर – जीना इसी का नाम है..आज हर कोई दीन दुखियों के विषय पर चर्चा करता है, लेकिन क्या वास्तव में दीन दुःखी केवल चर्चा का ही विषय हैं। हम उनके लिए क्या कर सकते हैं। कल्पना करिए यदि कोई ऐसी युवती मिले जो दीन दुखियों की सेवा के लिए नौकरी समेत अपना सब कुछ समर्पित कर विगत कई माह से उनकी सेवा कर रही हो। कुछ ऐसी ही है हमारे बिलासपुर की बेटी। जिसने कुछ ऐसा कर दिया जो आज पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बन चुका है.. जी हां! हम बात कर रहे हैं सुश्री रंजीता दास की। जो पहले तो प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हुए सेवा करती रही थी। लेकिन जब सेवा कार्यो और नौकरी इन दोनों में से किसी एक को चुनना पड़ा। तब रंजीता सेवा कार्यो को चुनते हुए आगे बढ़ी। जुनून ऐसा कि नौकरी छोड़ कर विगत 3 माह से शहर की पिछड़ी बस्तियों में, स्लम एरिया में पन्नी, कबाड़ी उठाने वाले बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कारवान बनाने का बीड़ा उठाया है। प्रतिदिन ऐसे बच्चों के पास जाकर उन्हें शिक्षा और साथ ही सभ्य समाज में रहने हेतु संस्कारवान भी बना रही है। वर्तमान में रंजीता के द्वारा शहर में अनेक पिछड़ी बस्तियों पर चार संस्कारशाला संचालित की जा रही है।जिसमें सर्वप्रथम रेलवे इंस्टिट्यूट के पीछे बसी बस्ती जिसे मुर्रा भट्ठा के नाम से जाना जाता है, वहां विगत 3 माह से निशुल्क संस्कारशाला संचालित कर रही है। इसी तरह ,ब्रम्ह विहार,नहर पारा देवरीडीह,बर खदान देवरीखुर्द में भी इनके द्वारा संस्कार केंद्र चलाये जा रहे है। 8 बच्चो से शुरु की जाने वाली संस्कारशाला में अब आने वाले बच्चों की संख्या 230 हो चुकी हैं। रंजीता ने बताया की इस सेवा कार्य में उन्हें समाज और परिवार तथा मार्ग दर्शकों का भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है। रंजीता ने बताया कि जब नौकरी छोड़ कर इस काम में जुड़ी, तो लोग उनकी अवहेलना करते थे। उनका मजाक उड़ाते थे। मगर दृढ़ इच्छाशक्ति और समाज के लिए समर्पित भाव उनके रगों में बहने लगा था। उन्होंने निर्णय लिया कि अब नौकरी छोड़ कर समाज के लिए और देश का भविष्य बनाने वाले नन्हे नन्हे बच्चों के लिए काम करेंगी। जो देश के भावी युवा पीढ़ी को नशे से मुक्त कर शिक्षा के साथ संस्कारवान बनाना भी बहुत आवश्यक है। पर्याप्त साधन ना होने के बावजूद भी समाज के सहयोग से वे लगातार इस कार्य को आगे बढ़ा रही हैं ज्ञात हो रंजीता पिछले 5 वर्षों से सामाजिक जीवन में है। उनके द्वारा सरकारी व गैर सरकारी और में वनांचल क्षेत्रों की स्कूलों में जाकर महिलाओं एवं युवतियों को मासिक धर्म के प्रति जागरूक कर उनके मन में बैठे मिथ्या भ्रम का निवारण और समस्या को दूर कर समाधान का उपाय भी बताया। साथ ही इन 5 वर्षों में उनके द्वारा हजारों सेनेटरी नैपकिन का निशुल्क वितरण भी किया गया है। इन 5 वर्षों के दौरान उन्होंने अनेक कन्याओं के विवाह में आर्थिक मदद भी की और कोरोना काल के दौर में जब लोग अपने परिजनों के अंतिम संस्कार नहीं कर पाते थे। ऐसे दौर में समूह बनाकर अनेक मृत व्यक्तियों का अंतिम संस्कार और उसके दौरान लकड़ी की कमी होने पर 25 टन से अधिक गौकाष्ठ भी नगर निगम को उपलब्ध कराया था। उनके इस पूरे कार्य में उनके पिता और माता का भरपूर सहयोग प्राप्त होता है। उन्होंने कहा है कि तन समर्पित, मन समर्पित जीवन का कण कण समर्पित हैं।
आइये जानते है रंजीता दास के बारे में :
नाम- सुश्री रंजीता दास
पिता-श्री मोती दास
जन्मतारीख- 19/09/88
पोस्टल एड्रेस-एल.आई.जी.90 हाऊसिंग बोर्ड कालोनी देवरीखुर्द बिलासपुर ,छ. ग.
सामाजिक कार्य(1)- 4 वर्षों से मासिक धर्म के प्रति स्कूलों एवं ग्रामीण अंचल की किशोरी बालिकाओं एवं महिलाओं को जागरूक करना।
(2) छोटे बच्चों को अच्छा स्पर्श बुरे स्पर्श के प्रति जागरूक करना।
(3) आत्मरक्षा के तत्काल सरल तरीके द्वारा जन जागरूकता लाना।
(4) झुग्गी झोपड़ी क्षेत्र के किशोर किशोरियों को नशा मुक्त बनाने के लिए प्रेरित करना।
(5) स्कूली बच्चियों को मासिक धर्म के लिए मिथ्या समस्या समाधान पर उचित परामर्श प्रदान करना।
(6) पिछले 75 दिनों से स्लम एरिया झुग्गी झोपड़ी में बच्चों को शिक्षा एवं संस्कारवान बनाना । एवं 230 बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही हूं।
(7) कारोना काल में गौकाष्ठ द्वारा अंतिम संस्कार कराना।
(8) प्रसव पीड़ा के दौरान महिला एवं बच्चे की जान बचाना।
(9) निर्धन कन्या विवाह में सहयोग करना।
(10) निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण देना।