हसदेव आंदोलन के बहाने.. कोन्हेर गार्डन की हरियाली पर बेजा कब्जा.. अब देखा देखी दूसरा टेंट भी लग गया, दिन भर नहीं रहते आंदोलनकारी.. बस टेंट गडाकर रख लिया,ग्रील तोड़कर अवैध रास्ता भी बनाया..!
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। बिलासपुर में हसदेव के जंगलों को बचाने के नाम पर दिखावे का आंदोलन कर रहे लोग सफल होंगे या नहीं इस बाबत अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। लेकिन इन आंदोलनकारियों ने अपने आंदोलन के नाम पर बिलासपुर शहर के एक प्रमुख उद्यान, कोन्हेर गार्डन की हरियाली पर टेंट गडा कर कब्जा जरूर कर लिया है।वहां हसदेव बचाव के नाम पर लगाया गया टेंट तकरीबन हर दिन पूरा खाली रहता है। उस पर ना आंदोलनकारी दिखाई देते हैं। और ना ही धरना देने वाले। दिन भर टेंट खाली पड़ा रहता है। इसका साफ मतलब है कि आंदोलनकारियों का कथित आंदोलन जन भागीदारी के मामले में पूरी तरह असफल हो गया है। लेकिन आंदोलनकारी आंदोलन के बहाने शहर के एक हरे-भरे उद्यान में बेजा कब्जा करने में सफल हो गए हैं। इस कथित आंदोलन के व्हाट्सएप प्रचारक और फेसबुकिया समर्थकों को कायदे से अपना डेरा डंडा वहां से और कहीं ले जाना चाहिए। उनकी देखा देखी कोन्हेर गार्डन में कल से एक और टेंट लगा दिखाई दे रहा है। वहां भी टेंट लगाने वाले गायब रहते हैं।
अगर यही हाल रहा तो तिलक नगर के निवासियों के लिए बनाया यह गार्डन प्रोफेशनल धरना प्रेमियों के मल मूत्र विसर्जन और कूड़ा करकट का ठिकाना बन सकता है। गार्डन में टेंट लगाकर कब्जा करने वालों ने गार्डन की ग्रिल तोड़कर अवैध रास्ता भी बना लिया है। रायपुर में बूढ़ा तालाब के किनारे खाली पड़ी जगह को धरना स्थल बनाने का पूरा शहर विरोध करने लगा है। खुद रायपुर नगर निगम के सभापति और महापौर ने इसे धरना स्थल को हटाने के लिए कमर कस ली है। उन्होंने शासन को यह कहा है कि अगर बूढ़ा तालाब से धरना स्थल नहीं हटाया गया तो पूरे रायपुर के लोग आंदोलन करेंगे। ऐसा लगता है कि इसी तर्ज पर कोन्हेर गार्डन में लगे स्थाई कब्जे वाले टेंट के खिलाफ भी मोहल्ले वालों को अपना टेंट लगाकर धरना प्रदर्शन करना होगा। अन्यथा इस गार्डन में पेड़ पौधे और फव्वारे कम तथा धरना आंदोलन वालों के टेंट पंडाल अधिक दिखने लगेंगे।