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2 अक्टूबर से ‘वन नेशन-वन फर्टिलाइजर’ स्कीम होगी लांच, पौने दो सौ कंपनियां बेचेंगी सिंगल ब्रांड फर्टिलाइजर

(शशि कोन्हेर) : नई दिल्ली – मल्टी ब्रांड से अपने उत्पाद बेचने की होड़ में किसानों को चूना लगाने वाली फर्टिलाइजर कंपनियों पर नेशन-वन फर्टिलाइजर की स्कीम से शिकंजा कसने में मदद मिलेगी। फर्टिलाइजर उत्पादक कंपनियों के डीलरों और एजेंटों के बीच की प्रतिस्पर्धा पर भी लगाम लगाने में सहूलियत होगी। देश की सभी 177 फर्टिलाइजर कंपनियां दो अक्टूबर से सिंगल ब्रांड भारत फर्टिलाइजर बेचना शुरू कर देंगी। फर्टिलाइजर मंत्रालय की ओर से सभी संबंधित पक्षकारों को पुख्ता तैयारियों के निर्देश दिया गया है। इसके तहत फर्टिलाइजर की पैकेजिंग एक समान हो जाएगी।

देश में फिलहाल 177 फर्टिलाइजर कंपनियां सब्सिडी वाले उत्पाद यूरिया, डाई अमोनिया फास्फेट (DAP), नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम (NPK), म्यूरिएट आफ पोटाश (MOP) बेचती हैं। अब इन सभी कंपनियों को सिंगल ब्रांड भारत फर्टिलाइजर के नाम से फर्टिलाइजर की बिक्री करनी होगी। इससे किसानों को विभिन्न कंपनियों के डीलर और एजेंट बेवजह गुमराह नहीं कर सकेंगे। खाद की पूरी बिक्री प्वाइंट आफ सेल (POS) मशीन के माध्यम से ही हो सकेगी जो आधार नंबर से जुड़ी हुई है। इससे जल्दी ही किसानों के लैंड रिकार्ड भी जोड़ दिए जाएंगे।

फर्टिलाइजर मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि किसानों को उनकी जरूरत के मुताबिक फर्टिलाइजर लेने की पूरी छूट होगी। किसानों को फर्टिलाइजर पर मिलने वाली सब्सिडी का भुगतान फर्टिलाइजर कंपनियों को सीधे किया जाता है। इसका लाभ किसानों को सस्ती खाद के रूप में दिया जाता है। सिंगल ब्रांड की खाद होने से किसानों भ्रमित नहीं हो सकेंगे। खाद की हर बोरी की गुणवत्ता समान होगी।

हालांकि फर्टिलाइजर कंपनियों की ब्रांड वैल्यू के समाप्त होने का गंभीर खतरा जरूर बढ़ गया है। लेकिन सरकारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि फर्टिलाइजर की पैकिंग वाली बोरी के निचले हिस्से में कंपनियां अपना ब्योरा दर्ज कर सकेंगी।

विश्व बाजार में कीमतों के बढ़ने के बावजूद घरेलू बाजारों में फर्टिलाइजर के मूल्य में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। प्राकृतिक गैस और कच्चे माल का मूल्य बढ़ जाने से फर्टिलाइजर के मूल्य में अप्रत्याशित वृद्धि होने वाली थी, जिसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए फर्टिलाइजर सब्सिडी 2.3 लाख करोड़ रुपये का प्रविधान किया है। जबकि पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सब्सिडी 1.62 लाख करोड़ रुपये थी। किसानों पर आने वाले बोझ को सरकार ने अपने खजाने पर डाल दिया है।

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