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विपक्षी गठबंधन एक, नेता अनेक: अखिलेश यादव का नया फॉर्मूला कांग्रेस की नींद उड़ा देगा

(शशि कोन्हेर) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने से रोकने के लिए विपक्षी दलों की एकता की कोशिश में जुटे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल रंग लाने लगी है। अब विपक्षी दलों के नेता गठबंधन के स्वरूप, उसके नेतृत्व और सीट बंटवारे जैसी चीजों पर बात करने लगे हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विपक्षी गठबंधन के लिए एक फॉर्मूला रखा है जिसका लब्बोलुआब ये है कि जिस राज्य में जो पार्टी मजबूत है, उस राज्य में गठबंधन का नेतृत्व वो पार्टी करे।

ये कांग्रेस के लिए मुसीबत बढ़ाने वाला फॉर्मूला है जो कर्नाटक में जीत के बाद जोश में है। कांग्रेस पहले भी साफ कर चुकी है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते विपक्ष के गठबंधन का नेता उसकी पार्टी से होगा। जब भी विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व का सवाल उठता है कांग्रेस का स्पष्ट जवाब रहता है कि कांग्रेस के नेतृत्व के बिना यह नहीं हो सकता।

अखिलेश यादव का फॉर्मूला कहता है कि राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व भले कांग्रेस का हो लेकिन जिस राज्य में लड़ रहे हैं वहां की सबसे मजबूत पार्टी के हाथ में वहां का नेतृत्व होना चाहिए। मतलब, गठबंधन तो एक रहे लेकिन नेता अनेक बनाएं जाएं, अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग नेता रहें। कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं होगी तो गठबंधन के लिए बात बननी मुश्किल है। इसके लिए तैयार होती है तो यूपी, बंगाल जैसे राज्यों में उसे अखिलेश और ममता की तरफ से दी गई कुछ सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार होना होगा।

तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सोमवार को कांग्रेस को 200 सीट लड़ने की सलाह देते हुए कहा था कि वो त्याग करे और जिस राज्य में जो पार्टी मजबूत है उसे समर्थन दे। अब यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इसमें और स्पष्टता लाते हुए कहा है कि जिस राज्य में जो पार्टी मजबूत है वो वहां विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करे।

अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता को लेकर ममता बनर्जी के बयान का समर्थन करते हुए मंगलवार को कहा कि जिस प्रदेश में जो दल मजबूत हो वहां उसे आगे कर चुनाव लड़ा जाए। अखिलेश ने कहा कि नीतीश कुमार, के चंद्रशेखर राव और बाकी पार्टियां भी यही चाहती हैं।

ममता बनर्जी ने कहा था कि जिन राज्यों में कांग्रेस मजबूत हैं, वहां वो भाजपा के खिलाफ लड़े, हम समर्थन करेंगे, लेकिन कांग्रेस को भी दूसरे विरोधी दलों के लिए समान दिखाना होगा। ये नहीं चलेगा कि कर्नाटक में तृणमूल उसका समर्थन करे और वह बंगाल में तृणमूल से लड़े। ममता बनर्जी ने ऐसे गठबंधन में कांग्रेस के लिए सीटों का भी हिसाब कर दिया।

ममता ने कहा कि कांग्रेस करीब 200 सीटों पर मजबूत है। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी मजबूत है तो हमें वहां उसका समर्थन करना चाहिए। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का समर्थन करना चाहिए। बंगाल में तृणमूल और बिहार में जदयू-राजद गठबंधन को समर्थन करना चाहिए। ममता ने ये साफ किया कि उनके कहने का ये मतलब नहीं है कि कांग्रेस को इन राज्यों में नहीं लड़ना चाहिए, इस बारे में आपस में बात करनी चाहिए।

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