सिर्फ दक्षिण के ब्राहमण गुरुओं को बुलाया… सेंगोल की स्थापना पर ये क्या बोल गए स्वामी प्रसाद मौर्य
(शशि कोन्हेर) : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने नई संसद के उद्घाटन के मौके पर दक्षिण भारत के ब्राह्मण धर्मगुरुओं की मौजूदगी पर सवाल उठाया है। उन्होंने एक ट्वीट के जरिए इसे ब्राह्मणवाद को स्थापित करने का कुत्सित प्रयास बताया।
बता दें कि रविवार को नई संसद के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विधिवत पूजन के बाद सेंगोल राजदंड को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्थापित किया। समारोह के लिए दक्षिण भारत से विशेष रूप से ब्राह्मण धर्मगुरुओं को बुलाया गया था। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसे लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है।
उन्होंने ट्वीट कर इसे ब्राह्मणवाद को स्थापित करने का कुत्सित प्रयास बताया। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि नई संसद में सेंगोल राजदंड की स्थापना पूजन में केवल दक्षिण के ब्राह्मण गुरुओं को बुलाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे बीजेपी की घृणित सोच दिखती है। भाजपा संसद में सेंगोल राजदंड की स्थापना के जरिए देश को राजतंत्र के रास्ते पर ले जा रही है।
अपने ट्वीट में स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा, ‘सेंगोल राजदंड की स्थापना पूजन में केवल दक्षिण के कट्टरपंथी ब्राह्मण गुरुओं को बुलाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा सरकार का यदि पंथनिरपेक्ष, संप्रभु-राष्ट्र भारत में विश्वास होता तो देश के सभी धर्म गुरुओं यथा बौद्ध धर्माचार्य (भिक्षुगण), जैन आचार्य (ऋषि), गुरु ग्रंथी साहब, मुस्लिम धर्मगुरु (मौलाना), ईसाई धर्मगुरु (पादरी) आदि सभी को आमंत्रित किया जाना चाहिए था। ऐसा न कर भाजपा अपनी दूषित मानसिकता और घृणित सोच को दर्शाया है। यद्यपि कि भाजपा सरकार सेंगोल राजदंड की स्थापना कर राजतंत्र के रास्ते पर जा रही है अपितु दक्षिण के ब्राह्मण धर्मगुरुओं को बुलाकर ब्राह्मणवाद को भी स्थापित करने का कुत्सित प्रयास कर रही है।’
बता दें कि नई संसद के उद्घाटन समारोह का कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया। स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार सेंगोल राजदंड की स्थापना का विरोध कर रहे हैं।
उनका कहना है कि आज जब देश में लोकतंत्र हैं तो राजतंत्र के प्रतीक को संसद में क्यों स्थापित किया जा रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि बीजेपी का लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।