180 आईएएस अधिकारियों में से 63 को मिला होम केडर.. सर्वाधिक उत्तर प्रदेश को
(शशि कोन्हेर) : कार्मिक मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को कैडर के आधार पर श्रेणीवार मिलने वाले आइएएस की संख्या उपलब्ध करा दी है। इस बार 180 में 63 को होम कैडर (गृह राज्य) मिलेगा, जिसमें 18 सामान्य, 27 ओबीसी, 11 एससी तथा सात एसटी श्रेणी से होंगे। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल परीक्षा-2021 में चयनित 180 आइएएस में से बिहार को 10 मिलेंगे, जिसमें तीन को होम कैडर मिलेगा। यह सभी एससी श्रेणी से होंगे।
सबसे अधिक 14 आइएएस उत्तर प्रदेश को मिलेंगे, जिसमें पांच होम कैडर के होंगे। झारखंड में छह में दो, पश्चिम बंगाल को 12 में से चार, पंजाब में पांच में दो, मध्य प्रदेश में आठ में दो, हिमाचल प्रदेश में दो में एक, हरियाणा में छह में दो, छत्तीसगढ़ में तीन में एक, गुजरात में आठ में तीन, कर्नाटक में चार में दो, केरल में नौ में तीन, राज्यस्थान के नौ में तीन, तमिलनाडु में 10 में चार, तेलंगाना में छह में दो को होम कैडर मिलेगा।
दो-तिहाई सीटें दूसरे राज्य के निवासियों के लिए सुरक्षित
नेशनल एसोसिएशन आफ सिविल सर्विसेज के सचिव सह आइएएस संतोष कुमार ने बताया कि संबंधित राज्य की कुल सीटों का एक-तिहाई होम कैडर तथा दो-तिहाई सीटें दूसरे राज्य के रहने वाले आइएएस के लिए सुरक्षित रहती हैं।
आइएएस-आइपीएस के लिए होम कैडर पहली पसंद होता है। कई बार श्रेणी में सीटें उपलब्ध नहीं होने पर टापर को भी होम कैडर नहीं मिल पाता है। इस बार बिहार में तीन होम कैडर की सीटें हैं, सभी एससी के लिए सुरक्षित हैं। इस कारण अन्य श्रेणी के किसी भी आइइएस को होम कैडर आवंटित नहीं हो सकता है।
ऐसे आवंटित होता है कैडर
बिहार-झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव वीएस दुबे ने बताया कि आइएएस के लिए कैडर काफी मायने रखता है। गृह राज्य में सेवा सबकी इ’छा होती है। संबंधित राज्य श्रेणीवार रिक्ति की सूची कार्मिक मंत्रालय को उपलब्ध कराते हैं।
आइएएस के लिए चयनित अभ्यर्थियों से राज्यों के विकल्प मांगे जाते हैं। संबंधित श्रेणी में रिक्ति और रैंक के आधार पर विकल्प को प्राथमिकता दी जाती है। पूर्वी उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड के अभ्यर्थी होम कैडर नहीं मिलने पर बिहार को वरीयता देते हैं।
कैडर में बदलाव आसान नहीं
आइएएस संतोष कुमार ने बताया कि कैडर आवंटन के बाद इसमें बदलाव आसान नहीं होता है। भारतीय सेवा के दो अधिकारियों की शादी होने की स्थिति में संबंधित राज्यों से स्वीकृति मिलने के बाद ही कैडर में बदलाव होता है। इसके अतिरिक्त जीवन को खतरा जैसे ग्राउंड पर आतंक प्रभावित राज्यों से कैडर में बदलाव होता है, लेकिन इसके उदाहरण काफी कम हैं।