रेलवे साइडिंग में रेस्टरूम बनाने से भड़का आक्रोश, सड़क पर उतरे ट्रेन चालक…..
(भूपेंद्र सिंह राठौर) : बिलासपुर – रेल प्रशासन संरक्षा नियमों का उल्लंघन कर चालकों को मालगाड़ी चलाने के लिए दबाव बना रहा है। इसी के विरोध में आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के बैनर तले मंगलवार को ट्रेन चालकों ने जोनल स्टेशन स्थित लांबी से रैली निकाली और डीआरएम कार्यालय के सामने धरना- प्रदर्शन किया। इस जमकर एसोसिएशन के पदाधिकारी प्रशासन के खिलाफ जमकर गरजे। उन्होंने कहा परिचालन संरक्षा नियमों के अनुसार ही होगा। रेलवे चाहे कितनी दबाव बना लें।
विरोध के पीछे वैसे तो कई प्रमुख मांगें है। पर मुख्य साइडिंग में रनिंग स्टाफ के लिए रेस्टरूम बनाकर वहां ठहरने के आदेश का है। उनका कहना था कि साइडिंग के रेस्टरूम में किसी तरह की सुविधा नहीं है। इसके अलावा लोडिंग व अनलोडिंग में बामुश्किल दो से चार घंटे लगता है। पर इस आदेश के बाद मालगाड़ी छह से आठ घंटे साइडिंग बेवजह खड़ी रहेगी। दरअसल नियमानुसार चालकों को आठ घंटे का विश्राम देना है। उस बीच यदि लोडिंग भी हो जाती है तो चालक विश्रााम की अवधि पूरी करने के बाद ही ड्यूटी के लिए मालगाड़ी पर आएंगे। इससे साइडिंग वालों को भी लाभ मिलेगा।
इसके अलावा रेलवे को भी राजस्व की हानि होगी। साइडिंग में रनिंग स्टाफ कैसे आराम कर सकता है। वहां कोल डस्ट, ध्वनि प्रदूषण व प्रतिबंधित पालिथिन में खान दिया जा रहा है। जिससे आराम मिलने के बजाय रनिंग स्टाफ की सेहत बिगड़ेगी। इससे वह बीमार पड़ेंगे। इसके कारण बेवजह स्वजनों को भी परेशानी होगी। साथ कामन रूम में साइडिंग स्टाफ के बार- बार आने- जोने से विश्राम प्रभावित होता है। अधूरे विश्राम से संरक्षा को भी खतरा है।
धरना स्थल पर मौजूद पदाधिकारियों का कहना था कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन में ट्रेनों की समयबद्धता के विपरित मालगाड़ी, लांग हाल के पीछे कोचिंग ट्रेनों को चलाई जाती है। जिसके कारण कोचिंग ट्रेनें का परिचालन प्रभावित होता है। रनिंग स्टाफ व सुपरवाइजर को उनके मूल कार्य के विपरित अन्य कार्यों में उपयोग किया जाता है। रेल दुर्घटना का यह मुख्य कारण है।