बिलासपुर

संग्रहण केंद्रों में करोड़ों का धान हुआ खराब, लापरवाही अफसरों की, नुकसान सरकार का…..

(भूपेंद्र सिंह राठौर) : बिलासपुर – पिछले दो साल से जिले के सभी धान संग्रहन केंद्र बंद है। यहां रखे करोड़ों के धान का उठाव नहीं होने के कारण अन्न खराब हो गया है। अब ये धान कौड़ियों के दाम पर केवल शराब ठेकेदारों को ही बेचा जा सकता है। अफसरों की लापरवाही से करोड़ों का यह नुकसान सरकार को उठाना पड़ा है।

छत्तीसगढ़ के धान संग्रहन केंद्रों में सैकड़ों टन धान सड़ने की खबर है। अन्न धन की यह बर्बादी तब हो रही है,जब देश के एक वर्ग को भरपेट भोजन नसीब नहीं होता।यह हाल तब है जब छत्तीसगढ़ देश में धान के कटोरे के नाम से प्रसिद्ध है।राज्य के एक बड़े हिस्से में धान की बंपर पैदावार होती है।किसानों को धान का समर्थन मूल्य मिल सके, उनकी ज्यादा से ज्यादा फसल खरीदी जाए, इसके लिए सरकार और प्रशासनिक अधिकारी काफी मेहनत करते है।फसल खरीदी के बाद सभी का ध्यान धान उठाव से हट जाता है यही कारण है कि खुले आसमान के नीचे हजारों क्विंटल धान सड़ रहा है। संग्रहन केंद्रों में लगे काँटाघर की मशीने खराब होने लगी है। यहां काम करने वाले हमालों की की भी रोजी रोटी छीन गई है। लेकिन इस और किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों की नजर नही पड़ रही है।

जिले के सभी संग्रहन केंद्रो में खुले आसमान के नीचे आज भी हजारों टन धान आपको लावारिस हालात में दिख जाएगा।इनमें ज्यादातर धान को लापरवाही तरीके से रखा गया है,उसके कैप कवर फट चुके हैं, वहीं कई जगह तो कैप कवर लगाए ही नहीं गए।नतीजतन, धान बारिश में भीग कर सड़ गया। जो धान ए केटेगरी का था अब वही धान सी केटेगरी में चला गया है। करोड़ो के धान की ओर अधिकारी और सरकार का ध्यान नही जा रहा है।

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