(भूपेंद्र सिंह राठौर) : उत्कल एक्सप्रेस की पेंट्रीकार का खाना खाकर यात्री बीमार हो सकते हैं। पेंट्रीकार के अंदर गंदगी पसरी रहती है इसके अलावा जिस बर्तन में खाना व अन्य सामान रखे जाते है वो भी साफ सुथरे नही होते है। लगातार बासी भोजन की शिकायत होती है उसके बावजूद पेंट्रीकार की जांच नहीं होती।
सबसे लंबी दूरी की ट्रेनों में उत्कल एक्सप्रेस का भी नाम शामिल है। इस ट्रेन की मानिटरिंग ईस्ट कोस्ट रेलवे से होती है। पेंट्रीकार, बेडरोल समेत अन्य सुविधाओं को वहीं से संचालित किया जाता है। लेकिन ट्रेन की हालत देखकर कहीं से नहीं लगता कि इस ट्रेन को लेकर रेलवे गंभीर है। रोज की तरह शनिवार को भी ट्रेन बिलासपुर स्टेशन लेट से पहुुंची।
पेंट्रीकार का बाहरी हिस्सा काफी गंदा दिखा उससे कही ज्यादा पेंट्रीकार के अंदर गंदगी नजर आई। फर्श में गंदगी की मोटी परत जमी हुई थी। इतना ही नहीं बर्तन भी ऐसे दिखे मानों महीनों से इसकी सफाई नहीं हुई। सब्जी, चावल, सलाद सभी खुले में रखे पाए गए जिसमें बार- बार मक्खियां आकर बैठ रही थी। इसके बाद भी पेंट्रीकार मैनेजर से लेकर कर्मचारियों ने इतनी जरुरत नहीं समझी की उसकी सुध ली जाए।
हालांकि यहाँ काम करने वाले लाइसेंसी के कर्मचारी है। उन्हें गंदगी या अन्य अव्यवस्थाओं को कोई लेना- देना नहीं है। असल जिम्मेदार रेलवे और आइआरसीटीसी है। अधिकांश कोच में खाने की प्लेट पड़ी थी। यात्रियों का कहना था कि जब बासी भोजन व स्वादिष्ट नहीं होने की शिकायत की गई।
तो कर्मचारियों ने यह कह दिया कि ट्रेन विलंब है। इसलिए वह कुछ नहीं कर सकते। ट्रेन में भोजन नहीं पकता है, केवल गरम किया जाता है। हालांकि यात्रियों ने शिकायत की कि इसमें खाना बन रहा था। शायद वह पेंट्रीकार स्टाफ और टीटीई के लिए बना रहे थे।