(आशीष मौर्य) : बिलासपुर : सिम्स के रेडियोलॉजी विभाग में एसईसीएल के सीएसआर मत से करीब 15 करोड़ 60 की लागत से 3 टेस्ला एमआरआई मशीन लगाया गया है. लेकिन तकनीकी विशेषज्ञों की कमी के चलते हैं, यहां पदस्थ एक मात्र डॉ अर्चना सिंह के ऊपर काम का बोझ है. यहाँ रोजाना संभाग से करीब 35 से अधिक सीटी स्कैन और एमआरआई के मरीज जांच कराने पहुंचते हैं.
अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग को एसईसीएल के सीएसआर मद से 15 करोड़ 60 लाख रुपए खर्च कर यहां अत्याधुनिक एमआरआई और सीटी स्कैन मशीन लगाई गई है और विभाग को सजाया और संवारा गया है. जो दूर और पास दोनों से ही देखने में अच्छा लगता है. मगर यहां की असल स्थिति यह है कि यह एकमात्र प्रोफेसर व डॉ अर्चना सिंह के भरोसे पूरा विभाग चल रहा है।
यहां रोजाना सिटी स्कैन कराने दूर दराज से मरीज पहुंचते हैं. एमआरआई और सीटी स्कैन के लिए लंबी लाइन भी लगती है. उसके बाद रिपोर्ट तैयार करने की जवाबदारी सिर्फ विशेषज्ञ चिकित्सक की होती है. यहां प्रोफेसर का एक, एसोसिएट प्रोफेसर के 2,असिस्टेंट प्रोफेसर के तीन,और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर के 6 पद स्वीकृत है. मगर यह विभाग सिर्फ एक ही डॉक्टर के भरोसे चल रहा है. डॉ अर्चना सिंह बताती हैं कि यहां आने वाले मरीजों को 24 घंटे इसकी सुविधा दी जा रही है.
एमआरआई और सीटी स्कैन होने के बाद उसकी रिपोर्ट भी तैयार कि जाती है . सिम्स के रेडियोलॉजी विभाग में 12 पद तो स्वीकृत हैं,लेकिन सिर्फ एकमात्र डॉक्टर के भरोसे यह विभाग चल रहा है.
सिम्स के स्थिति कब सुधरेगी यह तो यक्ष प्रश्न बना हुआ है. मगर मरीजों को जो सुविधाएं यहां से मिलनी चाहिए. वह डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के कारण लोगों को नहीं मिल पाती . राज्य शासन भी शासकीय अस्पतालों में पद तो स्वीकृत करता है लेकिन उसको नहीं भरता . जिसके कारण लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधा से वंचित रहते है.