केंद्र सरकार की ई संजीवनी सेवा का लाभ रोगियों को नहीं मिल रहा है….
(जयेंद्र गोले) : बिलासपुर – ई-संजीवनी ओपीडी भारत सरकार का प्रमुख टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म है, जिसे भारत सरकार के तत्वावधान में विकसित किया गया है और ये बहुत अच्छी तरह से काम कर रहा है. ये प्लेटफॉर्म किसी भी भारतीय नागरिक को मुफ्त परामर्श प्रदान करता है. लेकिन हम आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में यह सिर्फ कागजों पर ही सिमट गए हैं वही यह संजीवनी का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है ।
जिससे ग्रामीण अंचल मैं बैठे डॉक्टर रोगियों के गंभीर बीमारियों के बारे में ई संजीवनी के माध्यम से विचार विमर्श नहीं कर पा रहे हैं। जिससे मरीजों को सही ढंग से इलाज भी नहीं मिल पा रहा है। अब देखना या होगा कि केंद्र सरकार की माहिती इस योजना का लाभ रोगियों को कब तक मिल पाता है।
कैसे लोग उठा रहे हैं फायदा?
इस सेवा को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों के तहत शुरू किया गया है. ई-संजीवनी से टेलीमेडिसिन कंसल्टेंसी का लाभ आम लोग उठा सकते हैं. एक कंसल्टेंसी डॉक्टर की दूसरे डॉक्टर के साथ. इसके लिए आपको संजीवनी ऐप को अपने मोबाइल पर इंस्टाल करना होगा. इस ऐप को CDAC ने डिजाइन किया है. ऐप में तीन ऑप्शन दिखते हैं. पहला पहला मरीज का रजिस्ट्रेशन व टोकन दूसरा मरीज का लॉग इन और तीसरा प्रिस्क्रिप्शन. इस तरह आप डॉक्टर से जुड़कर टेली परामर्श ले सकते हैं.
ई संजीवनी टेलीकंसलटेशन आयुष्मान योजना के तहत केंद्र शासन का कार्यक्रम है जिसमें ग्रामीण छेत्रो के साथ साथ शहरी क्षेत्रों के ऐसे मरीज जो स्पेशलिस्ट चिकित्सकों से वंचित रह जाते है को विभिन्न छेत्रों में संचालित आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में पदस्थ सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के माध्यम से मरीजों को ऑनलाइन साइट के माध्यम से जिला अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज में बैठे स्पेशियलिस्ट चिकित्सकों के साथ सीधे जोड़ कर उपचार मुहैय्या कराया जाता है l
ई संजीवनी लगभग वर्ष 1019 से संचालित हो रहा है परंतु बिलासपुर जिले में अलग अलग दिवसों में अलग अलग स्पेशलिस्ट चिकित्सकों का रोस्टर के माध्यम से ड्यूटी लगाए जाने के पश्चात भी ड्यूटी में बैठने वाले चिकित्सकों को अनुपलब्धता के वजह से इस कार्यक्रम को मूर्त रूप नहीं मिल पा रहा था एवं इतनी बड़े कार्यक्रम में नोडल एवं जिम्मेदार अधिकारियों के अनदेखा के वजह से ग्रामीण छेत्रों के लाखों लाभार्थी मरीज इसके लाभ से वाचित थे।
सही तरीके से ई संजीवनी के संचालन होने से ग्रामीण तबके के लाखों मरीजों को गंभीर बीमारी होने से पहले ही स्पेशलिस्ट चिकित्सक के माध्यम से उपचार प्रदाय कर सुरक्षित किया जा सकता है l
जानकारी मिली है की बहुत स्थानों पर हब में स्पेशलिस्ट चिकित्सक को न बैठा कर कार्यालय को बाबुओं को ही इस कार्यों में लगाया गया है जिसमें हब के कैमरा को बंद करके दवाई प्रेस्क्राइब किया जा रहा है एवं आम जनों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है l जिसके संबंध में जिला कार्यालय में प्रभारियों को भी संलिप्तता है परंतु राज्य से प्राप्त टारगेट को पाने के चक्कर में सभी मौन धारण किए हुए है l एवं अधिक संख्या में टेलीकंसलटेशन करने का दबाव सिर्फ निचले कर्मचारियों एवं सी एच ओ के ऊपर बनाया जा रहा है l