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खिलाड़ी रोल मॉडल होते हैं, उनसे शराब-तंबाकू का विज्ञापन….BCCI से सरकार का आग्रह

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीसीसीआई और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) से खिलाड़ियों को तंबाकू और शराब के परोक्ष विज्ञापनों से रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है। मंत्रालय ने कहा है कि वे न केवल देश में, बल्कि दुनिया भर में लाखों युवाओं के लिए आदर्श हैं।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष रोजर बिन्नी और साई के महानिदेशक संदीप प्रधान को लिखे पत्र में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. अतुल गोयल ने गुरुवार को कहा कि खिलाड़ी, विशेषकर क्रिकेटर, स्वस्थ, सक्रिय और उत्पादक जीवनशैली को बढ़ावा देने के मामले में युवाओं के लिए आदर्श हैं।

गोयल ने कहा, ‘‘बीसीसीआई को भारत के खिलाड़ियों और क्रिकेट प्रशंसकों को ध्यान में रखते हुए क्रिकेट खेल (और इसके संचालन) को बढ़ावा देने के लिए नीतियां, रूपरेखा, दिशानिर्देश बनाने का काम सौंपा गया है… और आईपीएल जैसे क्रिकेट आयोजनों के दौरान कुछ जाने-माने क्रिकेटरों और मशहूर अभिनेताओं को तंबाकू और/या शराब से संबंधित उत्पादों का परोक्ष विज्ञापन करते हुए देखना निराशाजनक है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करते हुए बीसीसीआई खिलाड़ियों को तंबाकू और/या शराब से संबंधित उत्पादों का परोक्ष विज्ञापन करने से रोकने के लिए सकारात्मक कदम उठा सकता है।’’

डीजीएचएस ने कुछ उपाय सुझाए हैं, जैसे तंबाकू विरोधी ‘रुचि की घोषणा’ फॉर्म पर हस्ताक्षर करना, बीसीसीआई द्वारा आयोजित या भागीदारी वाले स्टेडियमों या कार्यक्रमों में प्रचार/विज्ञापन न करना, तथा बीसीसीआई के अंतर्गत आने वाले खिलाड़ियों को तंबाकू और संबंधित उत्पादों के छद्म प्रचार/साझेदारी/विज्ञापन से दूर रहने के निर्देश जारी करना।

गोयल ने कहा, “इसके अलावा, यह अनुरोध किया जाता है कि बीसीसीआई के खेल आयोजनों जैसे आईपीएल में अन्य हस्तियों द्वारा इस तरह के छद्म विज्ञापनों की अनुमति न दी जाए। मुझे उम्मीद है कि आप इस बात की सराहना करेंगे कि इन छद्म विज्ञापनों में शामिल हस्तियों को न केवल देश में बल्कि दुनिया भर में लाखों युवा रोल मॉडल के रूप में अपनाते हैं।”

दुनिया भर में तम्बाकू से संबंधित मौतों के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है, जहां हर साल लगभग 13.5 लाख रोकी जा सकने वाली मौतें दर्ज की जाती हैं। इसके अलावा, भारत में सभी कैंसर के मामलों में से 33 प्रतिशत मामलों में तम्बाकू से संबंधित कैंसर होता है, जिसमें से लगभग 50 प्रतिशत पुरुषों और 17 प्रतिशत महिलाओं में तम्बाकू के कारण होता है।

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