प्रियंका गांधी वाड्रा ने लिखा…1 साल से अपने मृत पिता के शरीर का इंतजार कर रही है बेटी को न्याय दे प्रधानमंत्री..!
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राजस्थान के एक आदिवासी व्यक्ति के पार्थिव शरीर को स्वदेश लाए जाने का अनुरोध किया है. इस व्यक्ति की पिछले साल रूस में मृत्यु हो गई थी. प्रियंका ने कहा कि बेटी अपने पिता को आखिरी बार देखना चाहती है. कांग्रेस महासचिव ने प्रधानमंत्री को 27 जनवरी को लिखे अपने पत्र की एक प्रति ट्विटर पर भी साझा की. उन्होंने राजस्थान के उदयपुर जिला स्थित गोदवा गांव के रहने वाले आदिवासी शख्स, हितेंद्र गरासिया की बेटी के साथ एक तस्वीर भी पोस्ट की है. कोई कार्रवाई होती नहीं दिखी है।
प्रियंका ने अपने पत्र में कहा कि गरासिया के परिवार के सदस्य उनके पार्थिव शरीर को भारत लाए जाने की मांग कर रहे हैं ताकि उनका (शव का) सम्मानजनक अंतिम संस्कार किया जा सके. उन्होंने कहा कि 17 जुलाई 2021 को रूस में उनकी मृत्यु हो गई थी, कांग्रेस नेता ने कहा कि, ”दिवंगत हितेंद्र गरासिया की बेटी ने बहुत हिम्मत कर इस बाबत आपके (प्रधानमंत्री के) कार्यालय से भी गुहार लगाई. वो आखिरी बार अपने पिता को देखना चाहती है, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई होती नहीं दिखी है.” प्रियंका ने पीएम मोदी से इस मुद्दे पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया है.
परिवार ने प्रियंका गांधी से की थी मुलाकात
गरासिया की पत्नी आशा देवी, बेटी उर्वशी और बेटे पीयूष ने बूंदी के कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा के साथ इस हफ्ते की शुरूआत में दिल्ली में प्रियंका के कार्यालय में उनसे मुलाकात की थी. शर्मा के मुताबिक, प्रियंका ने गरासिया के परिवार को आश्वाासन दिया कि वो भविष्य में उनका ध्यान रखेंगी. कांग्रेस सचिव और राजस्थान के जहाजपुर से पूर्व विधायक धीरज गुर्जर भी इस मुलाकात के दौरान मौजूद थे.
गौरतलब है कि गरासिया एक साल के ‘वर्क वीजा’ पर पिछले साल अप्रैल में रूस गए थे, लेकिन मास्को के एक पार्क में कथित तौर पर मृत पाए गए थे. मास्को पुलिस ने इसे दुर्घटना से हुई मौत बताते हुए मामला बंद कर दिया और बाद में शव को मास्को में दफन कर दिया गया. गरासिया के परिवार को स्थानीय पुलिस से पिछले साल 28 अगस्त को उनकी मृत्यु की सूचना मिली थी. तब से उनका परिवार पार्थिव शरीर को वापस लाने के लिए प्रयास कर रहा है. परिवार ने पिछले साल दिसंबर में राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.