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त्वरित टिप्पणी : भाजपा कांग्रेस और आप पार्टी को तीनों राज्यों के मतदाताओं ने कहीं “थोड़ी सी खुशी दी तो कही बहुत बड़ा गम….!”

(शशि कोन्हेर) : दिल्ली एमसीडी के साथ ही गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणामों ने किसी भी एक पार्टी की ही पीठ थपथपाने की बजाय सभी पार्टियों को पर हिस्से का गम और खुशियां न्योछावर कर दी हैं। और इन तीनों ही राज्यों अर्थात दिल्ली गुजरात और हिमाचल प्रदेश मतदाताओं ने अपना-अपना जनादेश देते समय बस इसी एक बात का 100 फ़ीसदी ध्यान रखा कि..”जिसका जितना आंचल हो उसको उतना ही प्यार मिले”।। इन तीनों राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी इन सभी के दामन में अगर जीत की खुशियां हैं तो मतदाताओं ने इन पर सूपड़ा साफ होने जैसा गम भी दिल खोलकर उड़ेला है। गुजरात में वहां की 182 विधानसभा सीटों में से 156 सीटों पर कब्जा कर बंपर मेजारिटी लाने वाली भाजपा भले ही ढोल ताशे बजा ले और पटाखे फोड़ ले। लेकिन भाजपा के बड़े नेताओं को दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में हुई पार्टी की जबरदस्त हार का मलाल जरूर चुभ रहा होगा।

हिमाचल में उसकी अच्छी खासी 5 साल की सरकार चली गई तो दिल्ली एमसीडी के चुनाव परिणामों ने 15 साल की बादशाहत भाजपा के हाथ से छीनकर आम आदमी पार्टी को सौंप हाथ दी। अब जरा कांग्रेस की बात कर लें। तो कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भी बेशक हिमाचल प्रदेश में पार्टी की जबरदस्त जीत की खुशियां मना रहे हैं। लेकिन गुजरात में और दिल्ली में पार्टी का सूपड़ा साफ होना कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी गम का बड़ा सा डोज दे गया है।

आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी गुजरात और महाराष्ट्र चुनाव के 1 दिन पहले दिल्ली में मिली जबरदस्त विजय के बाद मिठाईयां बांटने और ढोल ताशे पीटने के साथ ही नाच कूद कर पटाखे फोड़ रहे थे। पर आज गुजरात तथा हिमाचल प्रदेश के चुनावों में आम आदमी पार्टी की जीत के दावों की भैंस पानी में चली गई। और इस पराजय ने दिल्ली एमसीडी चुनाव में 1 दिन पहले ही आम आदमी पार्टी को मिली ऐतिहासिक जीत का रंग जरूर फीका कर दिया होगा। कुल मिलाकर महाराष्ट्र गुजरात और दिल्ली एमसीडी के चुनावों ने भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लोगों को मिठाइयां बांटने और खुशियां मनाने का मौका तो दिया.. लेकिन बाकी जगह मिली पराजय ने उनकी मिठाइयों का स्वाद जरा कड़वा जरूर कर दिया होगा।

मजे की बात यह है कि आज गुजरात में मिली जीत पर ढोल ताशे बजा रही भारतीय जनता पार्टी, दिल्ली एमसीडी और हिमाचल प्रदेश में मिली जबरदस्त हार पर बात तक करना नहीं चाहती। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में हुई पार्टी की दुर्गति को दु:स्प्न की तरह भूलने की कोशिश कर रहे होंगे। रहा सवाल कांग्रेस का.. तो हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणामों ने देश की सबसे पुरानी पार्टी को बहुत दिनों बाद जीत का स्वाद जरुर चखाया है। पर दिल्ली और गुजरात में जिस तरह कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ है, उसने इस पार्टी के द्वारा हिमाचल की जीत पर मनाई जा रही खुशियों का स्वाद जरा फीका कर जरूर कर दिया होगा। कुल जमा लब्बोलुआब यह है कि तीनों राज्यों के मतदाताओं ने सभी राष्ट्रीय पार्टियों की थाली में एक-एक लड्डू जरूर डाले हैं। लेकिन साथ ही सभी की थाली में भरपूर मात्रा में नीम की कड़वी चटनी भी परोस दी है। हम यह कह सकते हैं कि इन चुनावों ने तीनों पार्टियों को जो सबक दिया है… उसे अगर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता याद रखेंगे। तो आने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी की संभावित दुर्गति होने से बचा सकते हैं वरना.. दिल्ली में भाजपा और कांग्रेस का.. गुजरात में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का तथा हिमाचल प्रदेश में भाजपा और आम आदमी पार्टी का हाल आप देख-हमझ ही रहे होंगे।

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