“रहमते आलम कांफ्रेंस” 13 अक्टूबर को कोरबा में, पैग़म्बरे इस्लाम के वंशजों का बिलासपुर में किया जाएगा स्वागत
(इरशाद अली संपादक लोकस्वर टीवी) : बिलासपुर – मुस्लिम धर्मगुरु गाजिये मिल्लत सैय्यद हाशमी मियां साहब किबला किछौछा शरीफ का तीन दिवसीय प्रवास छत्तीसगढ़ में हो रहा है। सुन्नी मुस्लिम जमात और अराकीने कमेटी कोरबा द्वारा आयोजित रहमते आलम कॉन्फ्रेंस में वो शिरकत करने आ रहे है। छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें राज्य अतिथि का दर्जा दिया है। जारी मिनट टू मिनट कार्यक्रम के तहत 12 अक्टूबर की सुबह पौने ग्यारह बजे वे रायपुर एयरपोर्ट पहुंचेंगे वहां से राज्य सरकार की दी हुई सुरक्षा व्यवस्था में सम्मान के साथ कोरबा के लिए सड़क मार्ग से रवाना होंगे। बिलासपुर में दोपहर साढ़े बारह बजे ग्रीन पार्क कॉलोनी स्थित इकबाल हक के निवास में स्वागत और खाना खाएंगे। इसके बाद 2 बजे तालापारा मगरपारा सत्यम चौक में मुस्लिम समाज द्वारा स्वागत किया जाएगा। यहां से वे सीधे लुतरा शरीफ दरगाह जाएंगे हज़रत बाबा सैय्यद इंसान अली शाह की मजार में ज़ियारत के बाद कोरबा के लिए रवाना हो जाएंगे।कोरबा में गौमाता चौक से रैली की शक्ल में निहारिका जाकर रात्रि विश्राम सुन्नी मुस्लिम जमात के सदर हाजी एखलाख खान के निवास में करेंगे। दूसरे दिन 13 अक्टूबर को कोरबा में विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद रात्रि 10 बजे रहमते आलम कॉन्फ्रेंस में तकरीर देकर मुस्लिम समाज का मार्गदर्शन करेंगे। इसके बाद रात्रि विश्राम करने के बाद 14 अक्टूबर को दोपहर में लुतरा शरीफ जाकर मस्जिद में जुमे की नमाज अदा कराएंगे। उसके बाद वापस रायपुर एयरपोर्ट के लिए रवाना हो जाएंगे। हज़रत हाशमी मियां के साथ सैय्यद राशिद मक्की मियां भी पूरे समय कार्यक्रम में रहेंगे। उनके प्रवास और कार्यक्रम को लेकर छत्तीसगढ़ के मुस्लिमों मे काफी उत्सुकता और उत्साह है।
13 भाषाओं के इस्लामी विद्वान पैगंबर मोहम्मद साहब के वंशज 40 वीं पीढ़ी में जन्म लेने वाले सैय्यद मोहम्मद हाशमी मियाॅ अशरफी उल जीलानी किबला किछौछा शरीफ उत्तरप्रदेश को मानने वाले छत्तीसगढ़ सहित हिंदुस्तान और विदेशों में भी बड़ी संख्या में अकीदतमंद है।आपको दुनिया ए इस्लाम में हुजूर गाजिए मिल्लत के नाम से जाना जाता है। आपकी खिताबत पूरी दुनिया में हो चुकी है। आपको तकरीर करते हुए 50 साल हो गए। इसीलिए आपका “गोल्डन जुबली “खिताब कोरबा में होने जा रहा है। कोरबा की सुन्नी मुस्लिम कमेटी की कोशिश कामयाब रही। और इनके जरिए तमाम लोगों को हुजूर गाजिए मिल्लत की जियारत और खिताब सुनने का मौका मिलेगा।