बिलासपुर

साउथ बिहार ट्रेन के यात्रियों को सजा दे रहा है रेलवे, ढाई घंटे से तिल्दा नेवरा में खड़ी है गाड़ी… भुगत रहे यात्री

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – इस भीषण गर्मी में एक ओर जहां रेलवे दर्जनों यात्री ट्रेनें रद्द कर आम जनता को परेशान हलकान कर रहा है। वही जो गिनती की ट्रेनें चल भी रही हैं उसके यात्रियों की भी रेलवे को कोई परवाह नहीं है। इन गिनती की यात्री ट्रेनों की टाइमिंग या उनके सिग्नल क्लीयरेंस ठहराव आज ही की चिंता रेलवे में शायद ही कोई करता हो। इसका दुष्परिणाम ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ता है। आज रायपुर बिलासपुर होते हुए बिहार के लिए जाने वाली साउथ बिहार एक्सप्रेस को 9 बजे सुबह से तिल्दा नेवरा स्टेशन पर खड़ी कर दी गई है। इस भीषण गर्मी में तिल्दा नेवरा जैसे छोटे से स्टेशन के पास ढाई तीन घंटे से अटकी पडी साउथ बिहार के अभागे रेलयात्री अपने कर्म को कोस रहे हैं। उन्हें न तो पीने का पानी मिल रहा है और नहीं खाने पीने का कोई सामान है। छोटे-छोटे बच्चे और वृद्ध भी रेलवे की इस नाजिर शाही से परेशान हो गए हैं। यदि किसी कारण से रेलवे को उस ट्रेन को रोकना भी था तो रायपुर बिलासपुर अथवा ऐसे किसी स्टेशन में रोकते जहां यात्रियों को खाने पीने की सुविधा मिल सकती। इसी ट्रेन से सफर कर रहे झारखंड चाईबासा के श्री संतोष सुल्तानिया और रायगढ़ नवभारत के पत्रकार स्वतंत्र महंत ने बताया कि धूप में भीषण गर्मी के बीच ढाई घंटे से यात्री ट्रेन के खड़े होने के चलते यात्रियों को नारकीय कष्ट भोगना पड़ रहा है। ऐसी जानकारी मिली है कि ब्रजराजनगर में सुरेंद्र यूनियन की रेल रोको आंदोलन की वजह से कई यात्री गाड़ियां प्रभावित हुई हैं। जिनमें से साउथ बिहार को रायपुर से छोड़ने के बाद तिल्दा नेवरा में करीब ढाई घंटे से खड़ा कर दिया गया है। इसके अलावा एक और गाड़ी भी वही खड़ी है। काबिले गौर है कि स्टूडेंट यूनियन ने 15 दिन पहले से अपने रेल रोको आंदोलन की सूचना स्थानीय प्रशासन और रेलवे को भी दे दी थी। इसके बावजूद रेलवे ने कोई व्यवस्था नहीं की और अभी 3 घंटे से साउथ बिहार के यात्री बहुत कष्ट पा रहे हैं। हम यहां फिर दोहरा रहे हैं कि अगर रेलवे को इस आंदोलन के चलते साउथ बिहार सहित कुछ ट्रेनों को इस तरह से इधर-उधर खड़ा करना था तो बिलासपुर रायपुर समेत ऐसे किसी स्टेशन पर खड़ा करना था जहां यात्रियों को प्लेटफार्म की छांव और खाने-पीने का सामान मिल सके। लेकिन रेलवे इन दिनों अपने यात्रियों के साथ ठीक वैसा ही बुरा बर्ताव कर रहा है जैसे अंग्रेज आजादी के पहले हमारे देश के लोगों के साथ किया करते थे।

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