रेलवे की नाकामी यात्रियों की जान जोखिम में….
(भूपेंद्र सिंह राठौर के साथ जयेन्द्र गोले) : बिलासपुर – नवरात्रि के पावन अवसर पर देवी स्थलों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। रेलवे ने दर्शनार्थियों के लिए अतिरिक्त स्पेशल ट्रेनों और ठहराव की घोषणाएं तो की हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। रेलवे द्वारा दी जा रही लोकल ट्रेन सुविधाएं श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर भीड़ का आलम यह है कि यात्रियों को ट्रेन में सवार होने के लिए जान जोखिम में डालनी पड़ रही है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि गोंदिया से झारसुगड़ा जाने वाली पैसेंजर लोकल ट्रेन में पैर रखने की भी जगह नहीं बची है। महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे गेट के पास खड़े होकर अपनी यात्रा करने को मजबूर हैं। ट्रेनों में जगह न होने की वजह से यात्रियों को धक्का-मुक्की कर ट्रेन में चढ़ना पड़ रहा है।
रेलवे के अधिकारी इस स्थिति से अनजान बने बैठे हैं, जबकि यात्रियों की भीड़ हर दिन बढ़ती जा रही है। नवरात्रि के इस खास मौके पर जब छत्तीसगढ़ के विभिन्न गांवों से श्रद्धालु बिलासपुर स्टेशन पर पहुंच रहे हैं, तो उन्हें गंतव्य तक पहुंचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय ट्रेनें पहले से कम चल रही हैं, जिससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
रेलवे के द्वारा भले ही स्पेशल ट्रेनों और अतिरिक्त ठहराव की बातें कही जा रही हों, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि श्रद्धालुओं को अभी भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रेलवे के उच्च अधिकारी स्थिति से पूरी तरह जानकर भी अनजान बने हुए हैं। जब तक कोई हादसा नहीं हो जाता, तब तक उनकी नींद नहीं खुलती। यह हाल सिर्फ एक ट्रेन का नहीं, बल्कि हर लोकल ट्रेन का है, जो इस दौरान देवी और दर्शानिक स्थलों की ओर जा रही है।
रेलवे की अव्यवस्था और अनदेखी से यात्री खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि रेलवे के अधिकारी कब इस स्थिति पर ध्यान देंगे और श्रद्धालुओं की इस मुसीबत का हल निकालेंगे। फिलहाल, रेलवे की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उम्मीद कि जा रही हैँ की जल्द ही इस समस्या का समाधान होगा और श्रद्धालु सुरक्षित तरीके से अपनी यात्रा पूरी कर पाएंगे।